पहले सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर (आश्रय गृह) में भेज दिया जाए और उन्हें वापस न छोड़ा जाए। इस आदेश को तीन जजों की बेंच को भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट के संशोधित दिशा-निर्देश
- सार्वजनिक जगहों पर खिलाने पर रोक: अब सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना गैर-कानूनी है।
- खिलाने के लिए तय स्थान: नगर निकाय को हर वार्ड में कुत्तों को खिलाने के लिए अलग जगह बनानी होगी।
- इलाज के बाद वापस छोड़ना: बंध्याकरण, कीड़े मारने की दवा देने और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी जगह वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
- लेकिन, रेबीज से ग्रसित, संदिग्ध रेबीज वाले या आक्रामक कुत्तों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
- राष्ट्रीय नीति: सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ा दिए हैं। साथ ही, संबंधित हाई कोर्ट के मामलों को मिलाकर एक अंतिम राष्ट्रीय नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
- गोद लेना: पशु प्रेमियों को आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए नगर निकायों में आवेदन करने की अनुमति है।
आवारा कुत्तों से जुड़ी हुई समस्याएं
- आवारा कुत्तों की संख्या: 2019 की पशुधन गणना के अनुसार भारत में लगभग 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
- जन सुरक्षा की चिंता: आक्रामक और रेबीज से पीड़ित कुत्तों के हमलों से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है।
- विश्व में रेबीज से होने वाली कुल मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं।
- इंसानों में होने वाले रेबीज के 99% मामले कुत्ते के काटने या खरोंचने से होते हैं।
भारत में आवारा कुत्तों से संबंधित प्रावधान
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