केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) पैनल ने सुंदरबन टाइगर रिजर्व (STR) के क्षेत्रफल का विस्तार करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। गौरतलब है कि NBWL की अध्यक्षता भारत के प्रधान मंत्री द्वारा की जाती है।
- इस विस्तार के बाद, अब सुंदरबन टाइगर रिजर्व भारत के 58 टाइगर रिजर्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें स्थान से दूसरे स्थान पर आ गया है। अब यह क्षेत्रफल के मामले में केवल आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व से पीछे है।
टाइगर रिजर्व घोषित करने या उसके क्षेत्रफल में बदलाव करने की प्रक्रिया
- राज्य सरकारें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार टाइगर रिजर्व अधिसूचित करती हैं। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से सलाह ली जाती है।
- अधिसूचना में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- राज्य से प्रस्ताव प्राप्त होता है;
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के अंतर्गत NTCA विस्तृत विवरणों की मांग करते हुए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी देता है;
- NTCA समुचित जांच के बाद राज्य को प्रस्ताव की सिफारिश करता है;
- राज्य सरकार संबंधित क्षेत्र को टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित करती है।
- क्षेत्रफल में बदलाव की प्रक्रिया: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38W(1) के अनुसार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की मंजूरी के बिना टाइगर रिजर्व की सीमाओं में बदलाव नहीं किया जा सकता।
- इसके लिए प्रस्ताव भी राज्य से ही प्राप्त किए जाते हैं।
सुंदरबन टाइगर रिजर्व (STR) के बारे में
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