प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया यात्रा
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस और क्रोएशिया की यात्रा पर जाने वाले हैं, जो कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले और बाद में महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यक्रमों को चिह्नित करता है। ये यात्राएं भारत की पारंपरिक विदेश नीति प्राथमिकताओं को रेखांकित करती हैं और इन देशों के साथ राजनीतिक और वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने का लक्ष्य रखती हैं।
साइप्रस की यात्रा
- महत्व: यह यात्रा राजनीतिक और वाणिज्यिक महत्व की है, क्योंकि यह तुर्की के प्रति एक कूटनीतिक संकेत है तथा सीमा पार आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन करती है।
- यूरोपीय संघ की अध्यक्षता: साइप्रस 2026 में यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, जिससे यह यात्रा शीर्ष-स्तरीय संपर्कों को नवीनीकृत करने के लिए जरूरी हो जाती है।
- भारत के लिए समर्थन: साइप्रस ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का लगातार समर्थन किया है तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित विभिन्न वैश्विक समूहों और सीटों के लिए इसके अभियानों का समर्थन किया है।
- ऐतिहासिक यात्राएं: भारतीय नेताओं की पिछली यात्राओं में 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की यात्राएं शामिल हैं।
- नेतृत्व के साथ बैठक: मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस से मिल सकते हैं।
क्रोएशिया की यात्रा
- सांस्कृतिक संबंध: यह यात्रा क्रोएशिया की मजबूत इंडोलॉजिकल परंपरा को उजागर करती है, जिसे ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों और इस्कॉन की उपस्थिति का समर्थन प्राप्त है।
- रक्षा और प्रौद्योगिकी: क्रोएशिया रक्षा और तकनीकी साझेदारी के माध्यम से भारत के साथ तेजी से जुड़ रहा है। 2023 में रायसीना वार्ता के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन इसका उदाहरण है।
- कूटनीतिक महत्व: यह यात्रा, जोसिप ब्रोज टीटो जैसी हस्तियों के साथ ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए गुटनिरपेक्ष साझेदारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
- आर्थिक गलियारा: क्रोएशिया और साइप्रस दोनों को 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किए गए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में संभावित प्रतिभागियों के रूप में देखा जा रहा है।
- समुद्री सुविधाएं: क्रोएशिया की समुद्री क्षमताएं IMEC के लिए रणनीतिक लाभ प्रदान करती हैं, जिससे भारत के लिए इसका आकर्षण बढ़ता है।