एटालिन जलविद्युत परियोजना को मंजूरी
पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (FAC) ने अरुणाचल प्रदेश में 3,097 मेगावाट की एटालिन जलविद्युत परियोजना को सैद्धांतिक रूप से वन मंज़ूरी दे दी है। यह कदम पूर्वोत्तर में जलविद्युत परियोजनाओं में तेज़ी लाने की केंद्र की पहल के अनुरूप है।
परियोजना का विवरण और स्थान
- इस परियोजना के तहत 1,175 हेक्टेयर वन भूमि का परिवर्तन और लगभग 2.78 लाख पेड़ों की कटाई की जानी है।
- यह दिबांग घाटी में स्थित है और इसका निर्माण ड्री और तालो नदियों पर किया जाना है।
- उत्पादन क्षमता के हिसाब से एटालिन भारत की सबसे बड़ी प्रस्तावित जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।
अनुमोदन प्रक्रिया और चिंताएँ
- FAC द्वारा 2022 में जैव विविधता और वन्यजीवन से संबंधित पूर्व में उठाई गई चिंताओं के बावजूद, इस परियोजना को अब मौजूदा अध्ययनों के आधार पर मंजूरी दे दी गई है।
- FAC ने नये सिरे से जैव विविधता और समग्र प्रभाव आकलन की आवश्यकता का हवाला देते हुए दिसंबर 2022 में इस परियोजना को शुरू में अस्वीकार कर दिया था।
- यह एक नदी-प्रवाह परियोजना है, अर्थात इसमें जल संग्रहण शामिल नहीं है।
पारिस्थितिकी और सामुदायिक प्रभाव
- परियोजना में आने वाला क्षेत्र मुख्यतः सामुदायिक वन है और इसे इदु मिश्मी समुदाय के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।
- यह क्षेत्र विविध वन्य जीवों का पर्यावस है, जिसमें बाघ, तेंदुए, हिम तेंदुए, काले भालू, अल्पाइन कस्तूरी मृग, मिशमी ताकिन और लगभग 680 पक्षी प्रजातियां शामिल हैं।
पिछले आकलन और अध्ययन
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा 2019 में बहु-मौसमी जैव विविधता अध्ययन की सिफारिश के बजाय एक वन्यजीव संरक्षण योजना संचालित की गई थी।
- संरक्षणवादियों ने WII के अध्ययन की आलोचना इसलिए की क्योंकि इसमें वन्यजीवों की जानकारी ठीक से दर्ज नहीं की गई थी।
समिति का निर्णय और तर्क
- 26 मई की बैठक में FAC का निर्णय नए आकलन के सुझावों के बावजूद मौजूदा अध्ययनों पर आधारित था।
- वरिष्ठ अधिकारियों ने नए अध्ययन के बिना अनुमोदन के पीछे के औचित्य पर कोई टिप्पणी नहीं की।