आयकर विधेयक, 2025 में रिफंड प्रावधानों के संबंध में संशोधन
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार नए आयकर (आईटी) विधेयक, 2025 में विवादास्पद रिफंड प्रावधान में संशोधन कर सकती है, जो नियत तारीख के बाद आईटी रिटर्न दाखिल करने पर रिफंड को प्रतिबंधित करता है।
विधेयक में परस्पर विरोधी धाराएँ
- नए आयकर विधेयक की धारा 433 में कहा गया है कि रिफंड का दावा रिटर्न दाखिल करके ही किया जाना चाहिए, चाहे समयबद्धता कुछ भी हो।
- धारा 263(1)(ए)(ix) निर्दिष्ट करती है कि रिफंड के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, रिटर्न नियत तारीख को या उससे पहले दाखिल किया जाना चाहिए।
- इससे धन वापसी प्रक्रिया में विरोधाभास पैदा होता है।
विशेषज्ञों और हितधारकों ने इस मुद्दे का मसौदा तैयार करने में हुई गलती के रूप में देखा है, जिसे सुधारा जाएगा। रिफंड से संबंधित प्रावधान मौजूदा कानून के अनुरूप ही रहेंगे।
विधायी प्रक्रिया
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने 13 फरवरी को नया आईटी विधेयक पेश किया।
- इसकी समीक्षा के लिए 31 सांसदों की एक प्रवर समिति गठित की गई।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने स्पष्टता बढ़ाने और करदाताओं पर अनुपालन का बोझ कम करने के लिए हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। चयन समिति संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
वर्तमान आईटी रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा
- अधिकांश व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अंतिम तिथि सामान्यतः 31 जुलाई है।
- जिन व्यवसायों और पेशेवरों को कर ऑडिट की आवश्यकता होती है, उनके लिए अंतिम तिथि 31 अक्टूबर है।
- विलंबित रिटर्न 31 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है, जिससे जुर्माना लग सकता है और लाभ सीमित हो सकता है।
विशेषज्ञ की राय
- टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के विवेक जालान ने बताया कि इस विसंगति के कारण समय-सीमा चूकने वाले करदाताओं को परेशानी हो सकती है।
- ध्रुव एडवाइजर्स के पुनीत शाह ने कहा कि धारा 263 और 433 के बीच परस्पर संबंध भ्रम पैदा करता है तथा उन्होंने इन प्रावधानों में संशोधन का सुझाव दिया।
- यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी हो सकता है।