प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा
उद्देश्य और महत्व
15 जून, 2025 को भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा का उद्देश्य भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है, खासकर व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में। यह यात्रा भारत की विदेश नीति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्रीय तनावों के मद्देनजर साइप्रस पड़ोसी देशों, खासकर तुर्की को संदेश देती है।
राजनयिक जुड़ाव
- साइप्रस के राष्ट्रपति ने लारनाका हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया।
- अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने साइप्रस में रहने वाले भारतीय समुदाय से मुलाकात की, जिसने कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन किया है तथा 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद एकजुटता दिखाई है।
- प्रधानमंत्री ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने पर चर्चा के लिए साइप्रस चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित साइप्रस-भारत गोलमेज चर्चा में भाग लिया।
भू-राजनीतिक संदर्भ
यह यात्रा इजरायल-ईरान संघर्ष के समय हुई थी, जिससे उड़ान मार्ग प्रभावित हुए। ईरान, लेबनान और इजरायल के ऊपर हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण प्रधानमंत्री के विमान को अरब सागर, सोमालिया, इथियोपिया, इरिट्रिया और मिस्र के ऊपर से गुजारना पड़ा।
अनुसूचित कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री मोदी के लिए औपचारिक स्वागत 16 जून, 2025 को निर्धारित है, जहां प्रतिबंधित और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी, जिसके बाद प्रेस वक्तव्य जारी किए जाएंगे।
- साइप्रस यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के कैलगरी की यात्रा करेंगे।