भारत की AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग क्रांति
भारत जैव प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का लाभ उठाने के मामले में एक महत्वपूर्ण बिंदु पर है। बायोई3 नीति और इंडियाAI मिशन जैसी पहलों ने AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण दर्शाया है। हालाँकि, विनियामक अंतराल इस प्रगति के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करते हैं।
बायोमैन्युफैक्चरिंग में परिवर्तन
- भारत जेनेरिक दवाइयों की आपूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह दर्जा पैमाने, लागत और विश्वसनीयता पर आधारित है। AI अब उत्पादन प्रक्रियाओं को अनुकूलित करके इस क्षेत्रक को बदल रहा है।
- बायोकॉन औषधि जांच और बायोमैन्युफैक्चरिंग के लिए AI को एकीकृत कर रहा है, जिससे दक्षता बढ़ेगी और लागत कम होगी।
- स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज जीनोमिक्स और व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए AI का उपयोग कर रही है, जिससे दवा की खोज और नैदानिक निदान में सहायता मिल रही है।
तकनीकी नवाचार
- AI मॉडल बायोसेंसर और प्रेडिक्टिव विश्लेषण का उपयोग करके किण्वन से लेकर पैकेजिंग तक विभिन्न प्रक्रियाओं को अनुकूलित करते हैं।
- डिजिटल ट्विंस आभासी संयंत्र सिमुलेशन की सुविधा देते हैं, जिससे अपशिष्ट कम होता है और गुणवत्ता मानकों में वृद्धि होती है।
सरकारी नीतियाँ और पहल
- बायोई3 नीति का उद्देश्य वैज्ञानिक सहयोग के लिए बायोमैन्युफैक्चरिंग केंद्र और “बायो-AI हब” स्थापित करना है।
- इंडियाAI मिशन एक नवीन और नैतिक AI इकोसिस्टम के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है तथा जिम्मेदार AI प्रथाओं पर जोर देता है।
विनियामक चुनौतियाँ
- जैव प्रौद्योगिकी में AI-संचालित प्रणालियों के लिए भारत का नियामक ढांचा पुराना हो चुका है, जिससे डेटा की विश्वसनीयता और सार्वजनिक सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
- यूरोपीय संघ के कृत्रिम बुद्धिमता अधिनियम और अमेरिकी FDA के दिशा-निर्देश अनुकूली विनियमन तथा जोखिम आधारित निरीक्षण पर जोर देते हैं, जबकि भारत में इन मॉडलों का अभाव है।
बायोमैन्युफैक्चरिंग में भविष्य की संभावनाएं
- उम्मीद है कि AI से दवा की खोज, आणविक डिजाइन, नैदानिक परीक्षण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
- विप्रो और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियां दवा खोज और क्लिनिकल परीक्षणों के लिए AI समाधान विकसित कर रही हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
- डेटा गवर्नेंस: प्रभावी AI प्रशिक्षण के लिए विविध और पूर्वाग्रह मुक्त डेटासेट सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
- बौद्धिक संपदा: इंवेंटरशिप और डेटा स्वामित्व से संबंधित प्रश्नों का समाधान किया जाना चाहिए।
- नियामक ढांचा: AI उपकरण निरीक्षण के लिए जोखिम-आधारित, अनुकूली विनियमों को लागू करना आवश्यक है।
- बुनियादी ढांचा और प्रतिभा: विशेष रूप से महानगरीय क्षेत्रों से आगे बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण में निवेश महत्वपूर्ण है।
- सहयोग: नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नियामकों, उद्योग, शिक्षाविदों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
सही नीतियों और पहलों के साथ, भारत AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी हो सकता है तथा वैश्विक जीवन विज्ञान उद्योग में अपनी विरासत को सुरक्षित कर सकता है।