विविधीकरण के प्रयासों के बावजूद, पंजाब में धान की खेती का एक और साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना क्यों है | Current Affairs | Vision IAS

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विविधीकरण के प्रयासों के बावजूद, पंजाब में धान की खेती का एक और साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना क्यों है

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पंजाब में धान की खेती: चुनौतियाँ और विविधीकरण के प्रयास

पंजाब सरकार राज्य के फसल मिश्रण में विविधता लाने का प्रयास कर रही है, फिर भी राज्य में धान की खेती के लिए उपयोग में लाइ जाने वाली भूमि लगभग रिकॉर्ड स्तर पर देखी जा रही है। पिछले साल, पंजाब में धान की खेती के तहत फसलीय भूमि का 32.44 लाख हेक्टेयर का ऐतिहासिक उच्च स्तर देखा गया। मौजूदा रुझान इस साल भी इसी तरह के रकबे का संकेत देते हैं। इस लगातार मौजूद रहने वाले मुद्दे को समझने के लिए इसके संदर्भ को समझना आवश्यक है।

वर्तमान कृषि परिदृश्य

  • पंजाब में खरीफ सीजन के दौरान खेती का कुल क्षेत्रफल लगभग 35-36 लाख हेक्टेयर है।
  • 2022 में यह आँकड़ा 35.2 लाख हेक्टेयर था।
  • मुख्य खरीफ फसलों में धान, कपास, मक्का, दालें (मूंग, उड़द, अरहर), तिलहन (मूंगफली, तिल) और गन्ना शामिल हैं।
  • पिछले वर्ष खरीफ फसल में धान की खेती का हिस्सा 92% से अधिक था।

धान की एकल खेती से जुड़ी समस्याएं

  • एक ही फसल की बार-बार खेती करने से कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • धान की खेती से मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता बढ़ जाती है।
  • यह एक जल-गहन फसल है, जो भूजल स्तर में गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान देती है, जो प्रतिवर्ष लगभग 0.5 मीटर तक गिरता है।

विविधीकरण के प्रयास

पंजाब ने धान की एकल खेती की समस्या से निपटने के लिए कई योजनाएं और नीतियां शुरू की हैं, जिनमें 12,000 हेक्टेयर भूमि को मक्का की खेती में स्थानांतरित करने और कपास की खेती को 15% तक बढ़ाने के लिए एक पायलट परियोजना भी शामिल है।

  • इन प्रयासों के बावजूद, गैर-धान खरीफ फसलें केवल 3.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बोई गई, जबकि धान अभी भी लगभग 32.04 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जा रहा है, जो खरीफ क्षेत्रफल का 91% हिस्सा होगा।
  • पंजाब के भूमिगत जल संरक्षण अधिनियम 2009 के कारण फसल चक्र में देरी हुई, जिससे किसानों को धान की पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे क्षेत्रीय वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई।

धान के प्रभुत्व को बनाए रखने वाले कारक

  • वर्तमान योजनाओं में महत्वाकांक्षा का अभाव है तथा उनका प्रभाव भी सीमित है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटीकृत खरीद, मक्का या दालों जैसे विकल्पों की तुलना में धान को अधिक आकर्षक बनाती है।
  • सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और उर्वरक सब्सिडी सहित सरकारी नीतियां धान की खेती के अनुरूप हैं।
  • किसान जोखिम से बचते हैं और एमएसपी द्वारा प्रदान किए जाने वाले सुनिश्चित लाभ को प्राथमिकता देते हैं।

प्रभावी विविधीकरण के लिए सिफारिशें

विशेषज्ञों का सुझाव है कि विविधीकरण के प्रयासों को काफी हद तक बढ़ाने की जरूरत है, जिसे मजबूत बाजार तंत्र, वैकल्पिक फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी तथा कृषि-स्तरीय अर्थशास्त्र और बुनियादी ढांचे में बदलाव के जरिए समर्थन दिया जाना चाहिए।

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  • Paddy
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