बंगाल की खाड़ी में भारत का असहज संतुलन | Current Affairs | Vision IAS

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बंगाल की खाड़ी में भारत का असहज संतुलन

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बंगाल की खाड़ी में भारत की आर्थिक भागीदारी

बंगाल की खाड़ी में भारत की भागीदारी विशाखापत्तनम, परादीप और हल्दिया जैसे पूर्वी बंदरगाहों के माध्यम से बढ़ते व्यापार के साथ विकसित हो रही है। इन विकासों के परिणामस्वरूप कार्गो थ्रूपुट में लगातार वृद्धि हुई है। बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) समुद्री परिवहन सहयोग समझौते का उद्देश्य विनियामक घर्षण और बंदरगाह लागत को कम करके व्यापार को आसान बनाना है। 

भारत-बांग्लादेश ट्रांसशिपमेंट सुविधा

  • हाल ही में, भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली है। इस सुविधा के तहत बांग्लादेशी निर्यात को भारतीय बंदरगाहों से होकर जाने की अनुमति थी।
  • यह वापसी बांग्लादेश द्वारा चीन के प्रति कूटनीतिक कदमों की प्रतिक्रिया स्वरूप हुई। भारत इसे रणनीतिक बचाव के रूप में देखता है।
  • इस वापसी से बांग्लादेश के निर्यात लॉजिस्टिक्स पर असर पड़ेगा। यह असर विशेष रूप से रेडीमेड परिधान क्षेत्र पर देखने को मिलेगा। बांग्लादेश का परिधान क्षेत्र लागत प्रभावी व्यापार मार्गों पर काफी हद तक निर्भर करता है। 

भारत की रणनीतिक स्थिति 

भारत सागरमाला कार्यक्रम के तहत बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में निवेश करके और तटीय लॉजिस्टिक्स को बढ़ाकर खुद को एक क्षेत्रीय एकीकृतकर्ता के रूप में स्थापित कर रहा है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • पिछले दशक में पूर्वी तट पर माल की आवाजाही दोगुनी हो गई है। 
  • तटीय शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए बंकर ईंधन पर GST कटौती जैसे नीतिगत परिवर्तन लागू करना। 
  • सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करने तथा व्यापार लागत और अवरोधों को कम करने के लिए BIMSTEC को पुनर्जीवित करना। 

क्षेत्रीय व्यापार गतिशीलता पर प्रभाव 

बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस लिया जाना तटस्थ आर्थिक ढांचे से विचलन के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना था। इसके प्रभाव में शामिल हैं:

  • बांग्लादेशी निर्यात, विशेषकर परिधानों के लिए लागत में वृद्धि और देरी।
  • भारत द्वारा स्थल बंदरगाहों के माध्यम से बांग्लादेशी माल के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने से तनाव बढ़ रहा है। 

भू-राजनीतिक निहितार्थ

इस कदम को भारत की राजनीतिक ताकत माना जा रहा है, जो समुद्री व्यापार को साझा बुनियादी ढांचे से बदलकर लेन-देन के क्षेत्र में बदल रहा है। भारत का यह कदम इस क्षेत्र में भारत की स्थिति पर प्रभाव डाल सकता है:

  • भारत का बंदरगाह बुनियादी ढांचा बेहतर बना हुआ है, लेकिन क्षमता के साथ-साथ विश्वसनीयता भी उतनी ही आवश्यक है।
  • यदि ट्रेड फैसिलिटेशन राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रतीत होता है, तो पड़ोसी देश इसमें हस्तक्षेप करना शुरू कर सकते हैं। 
  • भारत व्यापार पहुंच को राजनीतिक मंशा के साथ जोड़कर क्षेत्रीय सहयोग को कमजोर करने का जोखिम उठा रहा है। 

भविष्य में उठाए जा सकने वाले कदम

बंगाल की खाड़ी बेहतर संपर्क के लिए अवसर और रणनीतिक चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता दोनों प्रस्तुत करती है: 

  • BIMSTEC मुक्त व्यापार समझौता क्षेत्रीय व्यापार पैटर्न को पुनः परिभाषित कर सकता है।
  • भारत को अपने पड़ोसियों के बीच विश्वास बढ़ाने के साथ-साथ रणनीतिक हितों में संतुलन बनाना होगा। 
  • व्यापार को राजनीतिक चक्रों से अलग रखने के लिए एक नियम-आधारित तंत्र विश्वास बहाल कर सकता है। 

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि आर्थिक नीति और भू-राजनीतिक प्राथमिकताओं के बीच स्पष्ट रेखा खींचने से क्षेत्रीय विश्वास बनाए रखने में मदद मिल सकती है। 

  • Tags :
  • BIMSTEC
  • India-Bangladesh
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