बांग्लादेश के RCEP में प्रवेश को लेकर भारत की चिंताएँ
भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में बांग्लादेश के संभावित प्रवेश को लेकर आशंकित है, उसे डर है कि यह भारतीय बाजार तक बांग्लादेश की शुल्क मुक्त पहुंच को प्रभावित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से चीन के साथ अप्रत्यक्ष व्यापार मार्ग खुल सकते हैं।
चिंताओं का संदर्भ
- विदेश सचिव द्वारा संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
- यह बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भागीदारी, अल्पसंख्यकों पर हमलों और चुनावी अनिश्चितताओं के बीच उत्पन्न चिंताओं को दर्शाता है।
भारत-बांग्लादेश संबंध
- संसदीय समिति ने बांग्लादेश के राजनीतिक संक्रमण काल के दौरान भारत-बांग्लादेश संबंधों की स्थिति की समीक्षा की।
बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल
- भारत बांग्लादेश के साथ एक 'रचनात्मक, व्यावहारिक, पारस्परिक रूप से लाभप्रद और भविष्योन्मुखी संबंध' बनाए रखता है, जो रणनीतिक और क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं पर केंद्रित है।
अल्पसंख्यकों और उग्रवाद को लेकर चिंताएँ
- भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों और चरमपंथी विचारों को लेकर चिंता जताई है।
- माना जाता है कि ये मुद्दे और अधिक ध्रुवीकरण का खतरा पैदा कर सकते हैं और क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
- भारत ऐसी नीति पर जोर देता है जो जन-केंद्रित हो , न कि किसी विशेष शासन से संबंधित हो।
शेख हसीना का भारत में प्रवास
- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री का भारत में प्रवास बांग्लादेश के साथ राजनयिक संबंधों में बाधा नहीं डालता है।
- यह रेखांकित किया गया कि भारत अपने क्षेत्र का उपयोग बांग्लादेश के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों के लिए करने की अनुमति नहीं देता है।
बांग्लादेश में चीन का प्रभाव
- चीन बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिसे मोंगला पोर्ट के 370 मिलियन डॉलर के विस्तार द्वारा चिन्हित किया गया है।
- भारत ने खुलना-मोंगला रेलवे लाइन को वित्तपोषित करके और चटगांव तथा मोंगला बंदरगाहों के माध्यम से पारगमन पहुंच सुरक्षित करके इसका मुकाबला किया है।
लालमोनिरहाट हवाई अड्डे को लेकर चिंताएं
- बांग्लादेशी सेना द्वारा स्पष्ट किए जाने के अनुसार, लालमोनिरहाट वायुसेना अड्डे पर सैन्य उन्नयन की कोई योजना नहीं है।