जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन
जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र के दौरान, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के वैश्विक खतरे पर जोर देते हुए एक प्रभावशाली संदेश दिया तथा कुछ देशों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को निरंतर समर्थन दिए जाने की आलोचना की।
मोदी के संबोधन के मुख्य बिंदु
- आतंकवाद के समर्थन की आलोचना: मोदी ने उन देशों के पाखंड पर प्रकाश डाला जो अपने हितों के आधार पर प्रतिबंध लगाते हैं, जबकि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को पुरस्कृत करते हैं। उन्होंने परोक्ष रूप से पश्चिमी देशों और पाकिस्तान के बीच संबंधों का उल्लेख किया।
- कार्रवाई का आह्वान: उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया तथा चेतावनी दी कि यदि इसे नजरअंदाज किया गया तो इसके ऐतिहासिक परिणाम होंगे।
- आतंकवादी हमलों की निंदा: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हालिया हमले का हवाला देते हुए इसे भारत की गरिमा पर सीधा अपमान बताया गया।
- दोहरा मापदंड न अपनाएं: आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
वैश्विक एकता की अपील
मोदी ने आतंकवाद से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय एकता के महत्व पर बल दिया तथा आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह बनाने के लिए नीतियों में स्पष्टता लाने का आह्वान किया।
जी7 में भारत की भागीदारी
- भारत ने जी-7 में 12वीं बार भाग लिया तथा मोदी की आउटरीच सत्र में यह छठी उपस्थिति थी।
- भारत के निमंत्रण के लिए कनाडा के प्रधान मंत्री मार्क कार्नी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।