इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच चाबहार बंदरगाह और INSTC पर भारत की रणनीतिक नजर
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच भारत चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) पर संभावित प्रभावों की सतर्कता से निगरानी कर रहा है। ये परियोजनाएँ भारत की अफ़गानिस्तान, मध्य एशिया और रूस से कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
चाबहार बंदरगाह का महत्व
- चाबहार बंदरगाह भारत के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया जैसे स्थल-रुद्ध क्षेत्रों तक पहुंच को सुगम बनाता है।
- भारत ने बंदरगाह में बड़ा निवेश किया है, जिसमें बर्थ को अपग्रेड करने के लिए 85 मिलियन डॉलर का निवेश और एक्ज़िम बैंक से 150 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता शामिल है।
भारत की भागीदारी और निवेश
- भारत ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के माध्यम से चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन के लिए ईरान के साथ 10 साल का समझौता किया।
- IPGL जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो ईरान की आरिया बानादेर के साथ मिलकर काम कर रहा है।
क्षेत्रीय हित और विकास
- अफगानिस्तान में तालिबान शासन भी चाबहार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और पाकिस्तानी बंदरगाहों पर निर्भरता कम करने के लिए INSTC में शामिल होने पर विचार कर रहा है।
- कुछ मध्य एशियाई देशों ने चाबहार बंदरगाह और INSTC में रुचि व्यक्त की है।
हालांकि, इजरायल ने ईरानी बंदरगाहों को निशाना नहीं बनाया है, लेकिन ईरानी तट पर कुछ हमलों की खबरें सामने आई हैं, जो इस क्षेत्र में नाजुक भू-राजनीतिक गतिशीलता को रेखांकित करती हैं।