ग्रीन हाइड्रोजन उपयोग और निर्यात योजना
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन पर सीआईआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन में कहा कि सरकार ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग पर नज़र रखने और इसके निर्यात के लिए वैश्विक साझेदारी स्थापित करने की रणनीति तैयार कर रही है।
ट्रेसेबिलिटी का महत्व
ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग में ट्रेसेबिलिटी के महत्व पर जोर देते हुए मंत्रालय ने उत्पादन पूरा होने के बाद यह पता लगाने में मौजूदा चुनौती पर प्रकाश डाला कि स्टील का उत्पादन ग्रे या ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके किया गया था। ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग की पुष्टि के लिए ट्रेसेबिलिटी और ट्रैकेबिलिटी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
रियायतें और व्यापार समझौते
- भारत के व्यापार समझौतों में ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात के लिए रियायतों पर विचार किया जा रहा है।
- वैश्विक हरित हाइड्रोजन बाजार में भारत की भूमिका बढ़ाने के लिए यह पहलू महत्वपूर्ण है।
इस्पात क्षेत्रक में डीकार्बोनाइजेशन
वैश्विक उत्सर्जन के लगभग 10% के लिए जिम्मेदार इस्पात उद्योग, डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों का प्राथमिक केंद्र है। ग्रीन हाइड्रोजन से बने उत्पादों की पहचान, उनका पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादकों के साथ चर्चा चल रही है।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
- जनवरी 2023 में ₹19,744 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया जाएगा।
- इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- 2030 तक उत्पादन क्षमता 5 मिलियन टन प्रति वर्ष करने का लक्ष्य है।