राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (जीआईएम)
भारत सरकार ने वन और हरित आवरण को बढ़ाने और उन्हें पुनर्बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (जीआईएम) के लिए एक संशोधित रोडमैप का अनावरण किया है। यह मिशन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का समाधान करने का प्रयास करता है, जिसमें अरावली पर्वतमाला, पश्चिमी घाट, हिमालय और मैंग्रोव जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उपलब्धियां और उद्देश्य
- इसे जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के एक भाग के रूप में 2014 में इसका शुभारंभ किया गया।
- इसका लक्ष्य 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में वन एवं वृक्ष आवरण को बढ़ाना तथा अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में वन आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- 2015-16 से 2020-21 तक 11.22 मिलियन हेक्टेयर पर वनरोपण गतिविधियों को सुगम बनाया गया।
- 2019-20 और 2023-24 के बीच 18 राज्यों को 624.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिनमें से 575.55 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया।
संशोधित रोडमैप
- इसमें राज्यों और वैज्ञानिक निकायों से जलवायु प्रभाव संबंधी फीडबैक शामिल किया गया है।
- क्षेत्र-विशिष्ट सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संवेदनशील परिदृश्यों की बहाली पर जोर दिया गया है।
- इसमें मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के साथ सहयोग भी शामिल है।
- इस परियोजना में 29 जिलों में 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पुनर्स्थापन कार्य शामिल है, जिसका उद्देश्य अरावली पर्वतमाला के चारों ओर 5 किलोमीटर का बफर जोन बनाना है।
भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना
- वर्ष 2018-19 में भारत की लगभग एक-तिहाई भूमि (97.85 मिलियन हेक्टेयर) का क्षरण हुआ।
- भारत का लक्ष्य 2030 तक वन क्षेत्र बढ़ाकर 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना है।
- जीआईएम और संबंधित परियोजनाओं का लक्ष्य 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनः स्थापित करना है।
- 2005-2021 तक 2.29 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया। खुले वनों की बहाली उच्च प्रभाव वाले CO2 पृथक्करण के लिए एक लागत प्रभावी तरीका है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण का अनुमान है कि इससे 15 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 1.89 बिलियन टन CO2 संग्रहित किया जा सकेगा।
- जीआईएम का लक्ष्य वन एवं वृक्ष आवरण को 24.7 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ाना है, तथा 2030 तक 3.39 बिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक प्राप्त करना है।