राजस्थान की खीचन और मेनार आर्द्रभूमियों को विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर रामसर साइट्स का दर्जा दिया गया। इसके साथ ही, भारत में रामसर साइट्स की कुल संख्या बढ़कर 91 हो गई है।
- विश्व पर्यावरण दिवस 1973 से प्रत्येक वर्ष 5 जून को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में मनाया जाता है। वर्ष 2025 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है; 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन'।
- दो नई आर्द्रभूमियों के शामिल होने के साथ ही राजस्थान में रामसर साइट्स की कुल संख्या चार हो गई हैं। राजस्थान की दो अन्य रामसर साइट्स हैं- सांभर साल्ट लेक और भरतपुर स्थित केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान।

रामसर आर्द्रभूमि अभिसमय के बारे में
- शुरुआत: यह कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया और 1975 में लागू हुआ था।
- विवरण: यह एक अंतर-सरकारी संधि है, जो आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों के संरक्षण एवं विवेकपूर्ण उपयोग के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करती है।
- संयुक्त राष्ट्र के लगभग 90% सदस्य देश इसके "संविदात्मक पक्षकार" बन चुके हैं।
- भारत 1 फ़रवरी, 1982 को रामसर अभिसमय का पक्षकार बना था।
- एशिया में सबसे अधिक रामसर साइट्स भारत में हैं।
- किसी आर्द्रभूमि को "अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि" के रूप में नामित करने के लिए उसे रामसर कन्वेंशन द्वारा निर्धारित 9 मानदंडों में से कम-से-कम एक मानदंड को पूरा करना होता है।