IBC शील्ड के बावजूद बैंक धोखाधड़ी की सूचना दे सकते हैं: NCLT | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

IBC शील्ड के बावजूद बैंक धोखाधड़ी की सूचना दे सकते हैं: NCLT

15 Jul 2025
9 min

दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण का फैसला 

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत ऋण स्थगन के दायरे के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया है कि ऋण स्थगन बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों की पहचान करने और उन्हें वर्गीकृत करने से नहीं रोकता है और इस कृत्य को बैंक का एक प्रशासनिक निर्णय बताया।

फैसले के निहितार्थ 

  • यह निर्णय ऐसे अनेक मामलों को प्रभावित कर सकता है, जहां ऋणदाता कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के दौरान कॉर्पोरेट देनदार के खाते को 'धोखाधड़ीपूर्ण' घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं। 
  • न्यायाधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि CIRP और धोखाधड़ी की पहचान अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति करती है और दोनों अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। 
  • न्यायाधिकरण की भूमिका CIRP की अखंडता सुनिश्चित करना और इसके अंतर्गत धोखाधड़ी संबंधी गतिविधियों को रोकना है, न कि बैंक के वर्गीकरण निर्णयों को चुनौती देना। 

कानूनी दृष्टिकोण 

  • IBC का उद्देश्य दिवालियापन समाधान को प्रभावित करने वाली कार्रवाइयों को रोकना है तथा धोखाधड़ी का वर्गीकरण CIRP में बाधा नहीं डालता है। 
  • इसके अतिरिक्त, धारा 66(2) CIRP के दौरान धोखाधड़ी वाले व्यापार को संबोधित करने में रिज़ोल्यूशन प्रोफेशनल्स का समर्थन करती है। 

रणनीतिक निहितार्थ 

  • इस निर्णय से हितधारकों के लिए मुकदमेबाजी की रणनीतियों में बदलाव आवश्यक हो गया है, क्योंकि न्यायाधिकरण बैंकों के प्रशासनिक निर्णयों में हस्तक्षेप करने से बचेंगे।  
  • इससे कॉर्पोरेट देनदारों और प्रमोटरों को CIRP के दौरान संभावित आपराधिक जांच का सामना करना पड़ सकता है, जिससे रिज़ोल्यूशन एप्लिकेंट्स के लिए जोखिम बढ़ सकता है। उन्हें ऐसी कानूनी चुनौतियों और लागतों का सामना करना पड़ सकता है। 

Explore Related Content

Discover more articles, videos, and terms related to this topic

RELATED VIDEOS

1
न्यूज़ टुडे | डेली करेंट अफेयर्स | 14 दिसंबर, 2024

न्यूज़ टुडे | डेली करेंट अफेयर्स | 14 दिसंबर, 2024

YouTube HD
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features