भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंध
प्रधानमंत्री की मालदीव यात्रा भारत-मालदीव संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति पर ज़ोर देती है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब संबंधों में पहले आई तल्खी के बाद राजनयिक संबंधों में सुधार हुआ है।
प्रमुख समझौते और वित्तीय सहायता
- दोनों पक्षों ने मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, पर्यावरण और डिजिटल समाधान जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए चार समझौता ज्ञापनों (MoU) और तीन समझौतों का आदान-प्रदान किया।
- भारत मालदीव को 565 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण देगा, जिसकी राशि 4,850 करोड़ रुपये होगी, ताकि द्वीपीय राष्ट्र की आर्थिक चुनौतियों और दोहरे घाटे के मुद्दे का समाधान किया जा सके।
- मालदीव के वार्षिक ऋण चुकौती दायित्वों को 40% तक कम करने के लिए एक संशोधन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे वार्षिक चुकौती 51 मिलियन डॉलर से घटकर 29 मिलियन डॉलर हो गई।
आर्थिक और अवसंरचना विकास
भारत सरकार की वित्तीय सहायता से मालदीव में कई अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त-पोषित किये जाने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
स्मारक और सांस्कृतिक पहल
इस यात्रा के एक भाग के रूप में, भारत और मालदीव के बीच 60 वर्षों की मित्रता के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट जारी किया गया, जो गहन द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक है।
भविष्य की संभावनाओं
प्रधानमंत्री की यात्रा से दोनों देशों के बीच भावी सहयोग का स्पष्ट मार्ग प्रशस्त होगा, मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा को सुगम बनाया जा सकेगा तथा दीर्घकालिक हितों को सुदृढ़ किया जा सकेगा।