प्रतिरोध मोर्चा (TRF) पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की हालिया रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले में कथित भूमिका के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का नाम लिया गया है, जो सीमा पार आतंकवाद पर भारत के रुख के लिए एक कूटनीतिक उपलब्धि है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम के अनुसार, TRF ने जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए हमले की दो बार जिम्मेदारी ली है।
- समूह ने हमले स्थल की एक तस्वीर प्रकाशित की, उसी दिन जवाबदेही का दावा किया, लेकिन 26 अप्रैल को अपने दावे से मुकर गया।
- इस वापसी के बाद TRF या अन्य समूहों की ओर से कोई और संचार नहीं किया गया।
राजनयिक और क्षेत्रीय निहितार्थ
- एक सदस्य देश ने सुझाव दिया कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के समर्थन के बिना नहीं हो सकता था, जिससे LeT और TRF के बीच संबंध का संकेत मिलता है।
- एक अन्य देश ने TRF को लश्कर-ए-तैयबा के बराबर बताया, जबकि एक अन्य सदस्य देश ने लश्कर-ए-तैयबा को निष्क्रिय घोषित कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में TRF को 'विदेशी आतंकवादी संगठन' और 'विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी' घोषित किया था।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर हमलावरों की जवाबदेही तय करने का आह्वान किया, लेकिन पाकिस्तान के विरोध के कारण TRF का नाम नहीं लिया।
- एक विदेशी मामलों के विशेषज्ञ के अनुसार, UNSC रिपोर्ट में टीआरएफ का उल्लेख पाकिस्तान के "झूठ और धोखेबाज़ बयान" को उजागर करने के रूप में देखा गया।
रिपोर्ट का महत्व
- 2019 के बाद से UNSC की रिपोर्ट में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों का यह पहला उल्लेख है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत को दर्शाता है।
- निगरानी दल की रिपोर्ट सहित UNSC 1267 प्रतिबंध समिति के निर्णय सर्वसम्मति से अपनाए जाते हैं, जो इस मुद्दे पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य को दर्शाते हैं।