यह रिपोर्ट विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने जारी की है। इस रिपोर्ट में AI की रूपांतरणकारी क्षमता को उजागर किया गया है, जो सामान्य प्रयोजन वाली तकनीक के रूप में अर्थव्यवस्थाओं (देशों) में समृद्धि और आय के वितरण को नया रूप दे सकती है।
AI व्यापार और समावेशी विकास को कैसे बढ़ावा दे सकता है?
- व्यापार की लागत में कमी और उत्पादकता में सुधार करके: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाकर, विनियामक अनुपालन को सरल बनाकर, भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करके और कॉन्ट्रैक्ट इंफोर्समेंट में सुधार करके 2040 तक वैश्विक व्यापार में 34-37% की वृद्धि कर सकता है।
- 'स्किल प्रीमियम' को कम करके: AI से मध्यम और उच्च-कौशल वाले कामगारों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में कमी आने की उम्मीद है, जबकि निम्न-कौशल वाले कामगारों पर इसका कम प्रभाव पड़ेगा। इससे उच्च-कौशल युक्त श्रम की सापेक्ष मांग कम होगी।
- स्किल प्रीमियम: यह उच्च कौशल और निम्न कौशल वाले कामगारों के वेतन का अनुपात होता है, जिसके वैश्विक स्तर पर 3-4% तक घटने का अनुमान है।
- ज्ञान का प्रसार: जो अर्थव्यवस्थाएं व्यापार के लिए अधिक खुली होती हैं, उनमें नवाचार का अधिक मजबूत प्रभाव देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए- डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं के व्यापार में 10% की वृद्धि से सीमा-पार AI पेटेंट के मामलों में 2.6% की वृद्धि होती है।
- विकास की नए पथ: जिन अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण खनिज या नवीकरणीय ऊर्जा प्रचुर मात्रा में हैं, वे हार्डवेयर विनिर्माण, डेटा होस्टिंग और अन्य श्रम-प्रधान गतिविधियों जैसे डेटा संग्रहण एवं एनोटेशन के लिए हब बन सकती हैं।
इससे संबंधित ऐसी चिंताएं जो तत्काल नीतिगत कार्रवाई की मांग करती हैं:
- AI का संकेंद्रण: AI के विकास पर कुछ ही कंपनियों और अर्थव्यवस्थाओं का प्रभुत्व है, जिससे इसकी न्यायसंगत उपलब्धता के समक्ष जोखिम उत्पन्न होता है।
- श्रम बाजार में व्यवधान: कुछ कामगारों की जगह AI के उपयोग से वे विस्थापित हो सकते हैं। इसके लिए शिक्षा में निवेश और श्रम बाजार संबंधी बेहतर एवं सक्रिय नीतियों की आवश्यकता है, ताकि कामगारों को अनुकूलन में मदद मिल सके।
निष्कर्ष
AI और व्यापार की समावेशी क्षमता को साकार करने के लिए, सक्रिय एवं समन्वित नीतियों की आवश्यकता है। इसमें डिजिटल अवसंरचना और कौशल में निवेश करना, विनियामक समानता को बढ़ावा देना, प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना और WTO जैसे संगठनों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का लाभ उठाना शामिल होना चाहिए।