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शहरी चुनौती निधि: वितरण को मजबूत करने के लिए सात कदम

20 Aug 2025
1 min

भारत में शहरी विकास और वित्तपोषण

भारत के शहरी क्षेत्र पुराने वित्तपोषण मॉडल और अत्यधिक बोझ वाले बुनियादी ढाँचे के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 2011 से 2018 तक, शहरी उपयोगिताओं के बुनियादी ढाँचे (रियल एस्टेट को छोड़कर) पर पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6% था, जो आवश्यक स्तर से काफी कम है। 74वें संविधान संशोधन का उद्देश्य शहरों को अपने विकास का प्रबंधन स्वयं करने का अधिकार देना था, लेकिन यह पूरी तरह से साकार नहीं हो पाया है। 

केंद्रीय बजट की घोषणा 

इसके जवाब में, केंद्रीय बजट में ₹1 लाख करोड़ का शहरी चुनौती कोष (UCF) पेश किया गया।इसका उद्देश्य शहरों को ऐसे विकास केंद्रों में बदलना है, जहाँ सतत विकास और जल-स्वच्छता को मुख्य क्षेत्र बनाया जाएगा। यह बदलाव पात्रता-आधारित अनुदानों से प्रदर्शन-आधारित वित्तपोषण प्रणाली की ओर एक कदम है।  

शहरीकरण के रुझान और चुनौतियाँ 

जनगणना उन क्षेत्रों को शहरी श्रेणी में रखती है, जो विशिष्ट मानदंडों को पूरा करते हैं। 2027 तक, शहरी क्षेत्रों में भारत की 60% से अधिक आबादी निवास कर सकती है, जो अपडेटेड शहरी नियोजन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। नीति आयोग इन चुनौतियों से निपटने के लिए चुनिंदा शहरी क्षेत्रों में नए ढाँचों का परीक्षण कर रहा है। 

शहरी चुनौती निधि (UCF) 

  • वित्तपोषण संरचना: UCF 25% केंद्रीय वित्तपोषण प्रदान करता है और शहरों को परियोजना लागत का कम-से-कम 50% बांड, ऋण या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से जुटाने की आवश्यकता होती है, जिसका उद्देश्य निजी निवेश को प्रोत्साहित करना है।
  • पिछली पहलें: 2015 के स्मार्ट सिटी मिशन में निजी भागीदारी और वित्तीय समापन में सीमित सफलता मिली, जिससे UCF जैसी नई रणनीतियों की आवश्यकता का संकेत मिलता है। 

UCF सुधार के लिए सिफारिशें 

  • लाइफ़साइकल थिंकिंग: परियोजनाओं में परिचालन, रख-रखाव और नागरिक संतुष्टि को मुख्य तत्वों के रूप में एकीकृत किया जाना चाहिए।  
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: निवेश आकर्षित करने के लिए प्रथम-हानि गारंटी और ऋण संवर्द्धन जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • संसाधन जुटाना: शहरों को स्वयं धन जुटाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए; वर्तमान योगदान में गिरावट आई है। 
  • क्षमता निर्माण: जटिल परियोजना प्रबंधन के लिए शहरों को आवश्यक विशेषज्ञता और संसाधनों से सुसज्जित करना चाहिए। 
  • नवप्रवर्तन प्रोत्साहन: प्रदर्शन-आधारित वित्तपोषण द्वारा समर्थित, विशिष्ट लक्ष्यों के लिए चुनौती विंडो लॉन्च करना चाहिए। 
  • परियोजना फोकस: मौजूदा योजनाओं के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं को छोड़कर, राजस्व उत्पन्न करने वाली और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता देना चाहिए।
  • संस्थागत स्पष्टता: UCF को एक उत्तरदायी निकाय के साथ संचालित करना चाहिए, जो स्वायत्तता और नवाचार को बनाए रखे।  

निष्कर्ष 

भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने के लिए, शहरों को बैंक-योग्य, रहने योग्य और लचीला बनना होगा। शहरी चुनौती कोष का लक्ष्य इस परिवर्तन के लिए आवश्यक उत्प्रेरक बनना है।

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