भारत-चीन विश्वास निर्माण उपाय (सीबीएम)
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की चीन यात्रा से पहले, भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को स्थिर करने के लिए कई विश्वास-निर्माण उपायों की घोषणा की है।
प्रमुख समझौते
- सीमा व्यापार:
- लिपुलेख दर्रा, शिपकी ला दर्रा और नाथू ला दर्रा के माध्यम से सीमा व्यापार को पुनः खोलना।
- ठोस उपायों के साथ व्यापार और निवेश प्रवाह को सुविधाजनक बनाना।
- सीमा परिसीमन और प्रबंधन:
- सीमा सीमांकन में शीघ्र परिणाम प्राप्त करने के लिए भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय हेतु कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के अंतर्गत एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाएगा।
- सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाना।
- मौजूदा पश्चिमी क्षेत्र के अतिरिक्त पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में सामान्य स्तर की व्यवस्थाएं बनाना।
- उड़ान संपर्क और वीज़ा:
- चीन और भारत के बीच सीधी उड़ान सम्पर्क पुनः शुरू करना।
- पर्यटकों, व्यवसायों, मीडिया और अन्य आगंतुकों के लिए वीज़ा की सुविधा प्रदान करना।
- तीर्थयात्रा और सीमा पार नदियाँ:
- कैलाश पर्वत तक भारतीय तीर्थयात्रा का विस्तार करना।
- सीमा पार नदियों पर विचारों का आदान-प्रदान तथा समझौता ज्ञापनों के नवीकरण पर संवाद बनाए रखना।
- चीन ने मानवीय आधार पर आपात स्थिति के दौरान जल विज्ञान संबंधी जानकारी साझा करने पर सहमति व्यक्त की।
राजनयिक समर्थन
- दोनों पक्ष सफल राजनयिक आयोजनों के आयोजन में एक-दूसरे को सहयोग देने पर सहमत हुए।
- चीनी पक्ष 2026 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी में भारत का समर्थन करेगा, जबकि भारतीय पक्ष 2027 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए चीन का समर्थन करेगा।