भारत-UAE अंडरसी केबल परियोजना और OSOWOG पहल
भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच 2,000 किलोमीटर लंबी अंडरसी केबल परियोजना, भारत द्वारा शुरू की गई वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) पहल का एक हिस्सा है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के महानिदेशक के अनुसार, यह परियोजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और बड़े पैमाने पर सीमा पार बिजली व्यापार को सुगम बनाती है।
लाभ और उद्देश्य
- क्षेत्रीय अंतर्संबंध: भारत और पश्चिम एशिया के बीच ऊर्जा सुरक्षा को संबोधित करने की क्षमता।
- विद्युत व्यापार: 15,000 मेगावाट तक विद्युत के व्यापार की सुविधा प्रदान कर सकता है।
- ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाना: इससे छोटी अर्थव्यवस्थाओं को डीजल पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, जिस पर कुछ देश अभी भी 80% निर्भर हैं।
तकनीकी नवाचार
- डिजिटल ट्विन्स: ISA ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने के लिए विद्युत उपयोगिताओं के लिए डिजिटल ट्विन्स को बढ़ावा दे रहा है।
- नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकता: छतों और खेतों में उत्पादित बिजली के इष्टतम प्रेषण के माध्यम से आवश्यकता को 20% तक कम किया जा सकता है।
वित्तीय बाधाएँ और समाधान
- निवेश संबंधी असमानताएं: पिछले वर्ष स्वच्छ प्रौद्योगिकी पर खर्च किए गए 2.2 ट्रिलियन डॉलर में से 15% से भी कम विकासशील देशों को गया तथा 2% से भी कम अफ्रीका को गया।
- अनुमानित जोखिम: अंतर्राष्ट्रीय निजी क्षेत्र विकासशील देशों में निवेश करने में अधिक जोखिम महसूस करते हैं।
- वैश्विक सौर सुविधा: यह गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थापित है। इसका उद्देश्य अफ्रीका से शुरू करते हुए विभिन्न महाद्वीपों के लिए वित्तीय नवाचार संरचनाओं को डिजाइन करना है।
- अफ्रीकी सौर सुविधा: वितरित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए गारंटी प्रदान करते हुए प्रारंभिक 200 मिलियन डॉलर का निवेश।
नाइजीरिया में, सॉवरेन इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ISA के साथ सहयोग करती है तथा 30 से 40 गुना तक धन जुटाती है, जो भविष्य के निवेश के लिए एक आदर्श उदाहरण है।