भारत में कोयला गैसीकरण की चुनौतियाँ
नीति आयोग ने भारत में उपलब्ध उच्च राख सामग्री वाले कोयले के साथ गैसीकरण तकनीक की असंगति पर चिंता जताई है। कार्य-पत्र जारी होने के बावजूद, कोयला गैसीकरण परियोजनाओं की प्रगति सीमित रही है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- प्राथमिक मुद्दा ऐसी प्रौद्योगिकी का चयन करना है जो भारतीय कोयले के गुणों से मेल खाए, जिसमें 30 से 45% तक राख की मात्रा होती है तथा पर्याप्त एल्युमिना-सिलिका संरचना होती है।
- कई वैश्विक गैसीकरण प्रौद्योगिकियां भारतीय कोयले के लिए अनुकूलन के बिना अनुपयुक्त हैं।
सरकारी पहल और लक्ष्य
- सरकार का लक्ष्य 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैसीकृत करना है।
- 2024 में कोयला और लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए 8,500 करोड़ रुपये की व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना शुरू की गई।
- भारत कोल गैसीफिकेशन एंड केमिकल्स, कोल इंडिया तथा अन्य कम्पनियों को अवार्ड पत्र जारी किये गये।
कोयला गैसीकरण का महत्व
- कोयला गैसीकरण प्राकृतिक गैस और संबंधित उत्पादों के आयात पर निर्भरता को कम करके ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ा सकता है।
- यह कोयले को सिंथेटिक गैस में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है , जिसका उपयोग मेथनॉल, अमोनियम नाइट्रेट, सिंथेटिक प्राकृतिक गैस और उर्वरकों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।