चार्ज-युग्मित डिवाइस (सीसीडी)
चार्ज-कपल्ड डिवाइस (सीसीडी) एक इलेक्ट्रॉनिक घटक है जो प्रकाश को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करके चित्र बनाता है। इसके आविष्कार ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी मील का पत्थर साबित किया, जिसने फोटोग्राफी, खगोल विज्ञान और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया।
आविष्कार और विकास
- इसका आविष्कार 1969 में विलार्ड बॉयल और जॉर्ज स्मिथ द्वारा न्यू जर्सी, अमेरिका में बेल टेलीफोन प्रयोगशालाओं में किया गया था।
- मूलतः मेमोरी उपकरणों के लिए अर्धचालक प्रौद्योगिकी पर काम करते समय इसका विकास किया गया था।
- एक विचार-मंथन सत्र के दौरान इसकी संकल्पना सामने आई, जिससे "चार्ज कपलिंग" का विचार सामने आया।
- अपने अभूतपूर्व कार्य के लिए 2009 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।
कार्यक्षमता
- फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव का उपयोग करके संचालित होता है , जहां प्रकाश अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन-होल जोड़े उत्पन्न करता है।
- प्रत्येक पिक्सेल एक छोटे प्रकाश संवेदक के रूप में कार्य करता है, जो फोटॉन एकत्रित करता है और उन्हें विद्युत आवेशों में परिवर्तित करता है।
- आवेशों को क्रमिक रूप से उपकरण में स्थानांतरित किया जाता है, ताकि उन्हें पढ़ा जा सके और डिजिटल छवि में संसाधित किया जा सके।
- यह प्रक्रिया उच्च गुणवत्ता वाली, सटीक छवि प्रस्तुति की अनुमति देती है।
अनुप्रयोग और प्रभाव
- फोटोग्राफी: डिजिटल कैमरों के उदय को संभव बनाया, तथा फिल्म के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक सेंसरों का प्रयोग किया गया।
- सुरक्षा: सुरक्षा प्रणालियों में उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो फीड के लिए सीसीटीवी कैमरों में उपयोग किया जाता है।
- चिकित्सा निदान: स्पष्ट छवियों और सटीक निदान के लिए एक्स-रे इमेजिंग, सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी में कार्यरत।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: विस्तृत विश्लेषण के लिए सूक्ष्मदर्शी, स्पेक्ट्रोमीटर और कण डिटेक्टरों में उपयोग किया जाता है।
- खगोल विज्ञान: धुंधले और दूरस्थ आकाशीय पिंडों को पकड़ने के लिए स्वर्ण मानक बन गया, जिससे आकाशगंगाओं और बाह्यग्रहों की खोज में सहायता मिली।