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क्या भारत AMCA कार्यक्रम में वैश्विक भागीदारी के साथ अपने रक्षा भविष्य को सुरक्षित कर सकता है? | Current Affairs | Vision IAS

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क्या भारत AMCA कार्यक्रम में वैश्विक भागीदारी के साथ अपने रक्षा भविष्य को सुरक्षित कर सकता है?

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रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता

हाल के भू-राजनीतिक तनावों ने भारत के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया है, विशेष रूप से उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) कार्यक्रम के संदर्भ में। 

रणनीतिक साझेदारियां 

  • आत्मनिर्भरता में अलगाव के बजाय रणनीतिक, संप्रभु साझेदारी का निर्माण शामिल है।
  • भारत का 15,000 करोड़ रुपये के निवेश वाला AMCA कार्यक्रम इस दृष्टिकोण का उदाहरण है। 
  • AMCA को ऐसे साझेदारों की आवश्यकता है जो सह-निवेश, सह-विकास और सह-स्वामित्व के लिए तैयार हों, न कि केवल लेन-देन करने वाले आपूर्तिकर्ता।

सहयोग के वैश्विक उदाहरण

  • ब्रिटेन, जापान और इटली द्वारा संचालित ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) तथा यूरोप के यूरोजेट कंसोर्टियम जैसे उदाहरण, तीव्र एवं लागत प्रभावी विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को दर्शाते हैं। 

साझेदारी में चुनौतियाँ 

  • सभी साझेदारियां सफल नहीं होतीं; कुछ में प्रतिबद्धताएं वापस ले ली जाती हैं और सीमित बौद्धिक संपदा पहुंच शामिल होती है। 
  • भारत को साझेदारों का मूल्यांकन उनके प्रदर्शन, तकनीकी विशेषज्ञता, साझा हितों और प्रतिबद्धता के आधार पर करना चाहिए। 

भारत-यूके विजन 2035

  • भारत और ब्रिटेन ने रक्षा सहयोग पर LoA और प्रौद्योगिकी एवं सुरक्षा पहल (TSI) जैसे समझौतों के माध्यम से रक्षा सहयोग के लिए नीति-समर्थित आधारशिला रखी है।
  • भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में रक्षा क्षेत्र भी शामिल है, जो इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को उजागर करता है। 

AMCA और प्रोपल्शन पार्टनरशिप

  • लड़ाकू इंजन डिजाइन में अपने व्यापक अनुभव के कारण ब्रिटेन, एम्का की प्रणोदन प्रणाली के लिए एक संभावित साझेदार है।
  • यह साझेदारी सामरिक सहयोग से प्रौद्योगिकी सह-निर्माण तक आगे बढ़ सकती है।

भविष्य की दृष्टि

  • भारत अपने रक्षा सहयोग में क्षमता हस्तांतरण का लक्ष्य रखता है, न कि केवल आंशिक हस्तांतरण का।
  • इसमें IP का संयुक्त स्वामित्व स्थापित करना और भारत को स्वतंत्र रूप से इंजन आर्किटेक्चर विकसित करने में सक्षम बनाना शामिल है। 
  • संरचित ढांचे इन साझेदारियों को नियंत्रित करेंगे, जिससे सुरक्षित और पारदर्शी प्रौद्योगिकी प्रवाह सुनिश्चित होगा। 

निष्कर्ष 

वैश्विक रक्षा उत्पादन केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा स्वदेशी क्षमताओं को वैश्विक साझेदारियों के साथ एकीकृत करने पर निर्भर करती है, जैसा कि AMCA कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण के प्रति भारत के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण परीक्षण है।

  • Tags :
  • Strategic Partnerships
  • Self-Reliance in Defence
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