इसरो की आगामी उपग्रह प्रक्षेपण योजनाएँ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अगले 15 वर्षों में 100 से ज़्यादा उपग्रहों के प्रक्षेपण की महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है। इन प्रक्षेपणों का उद्देश्य पृथ्वी-अवलोकन डेटा, उपग्रह-आधारित संचार और नेविगेशन संबंधी भारत की ज़रूरतों को पूरा करना है।
नियोजित उपग्रह मिशन
- इसरो का लक्ष्य 2040 तक प्रतिवर्ष सात से आठ मिशन संचालित करना है।
- यह अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के अलावा है, जिसमें चंद्रमा, मंगल और शुक्र के साथ-साथ गगनयान कार्यक्रम के तहत मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन भी शामिल हैं।
- वर्तमान औसत प्रति वर्ष पांच से छह प्रक्षेपण है, जबकि 2016 में नौ प्रक्षेपणों का रिकार्ड है।
निजी उद्योग पर ध्यान केंद्रित
- इसरो अपने 2047 रोडमैप लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए निजी अंतरिक्ष कंपनियों पर निर्भर है।
- वर्तमान में भारत में लगभग 350 निजी अंतरिक्ष कंपनियां नवोन्मेषी परियोजनाओं में लगी हुई हैं।
- अंतरिक्ष क्षेत्र को कुछ महत्वपूर्ण उपग्रह भागों और परमाणु घड़ियों जैसे आयात पर निर्भरता कम करने के लिए तेजी से स्वदेशीकरण की आवश्यकता है।
भविष्य के मिशन का रोडमैप
- रोडमैप में चंद्रयान मिशन 4 से 8 तक शामिल हैं, चंद्रयान-4 और 5 नमूना वापसी मिशन हैं जो 2027-28 के आसपास निर्धारित हैं।
- चंद्रयान-5 जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ एक संयुक्त मिशन होगा।
- मंगल ग्रह पर लैंडर मिशन की योजना भी तैयार है। हालांकि, इसके लिए कोई निश्चित समय-सीमा नहीं बताई गई है।
पृथ्वी-अवलोकन और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन
- नियोजित 100 से अधिक उपग्रह प्रक्षेपणों में से लगभग 80 भूमि-आधारित अनुप्रयोगों पर केंद्रित होंगे।
- अन्य उपग्रह महासागरीय और वायुमंडलीय अनुप्रयोगों को पूरा करेंगे।
- इसरो नई क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए 16 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशनों की योजना बना रहा है।
भविष्य के लिए इसरो का दृष्टिकोण
इसरो अध्यक्ष ने अंतरिक्ष क्षेत्र के परिवर्तनकारी चरण पर जोर दिया तथा मिशन की समय-सीमा को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की आवश्यकता तथा इन मिशनों से होने वाले संभावित लाभों पर प्रकाश डाला।