डीआरडीओ की QRSAM मिसाइल
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 24 अगस्त को एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (आईएडीडब्ल्यूएस) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण किया। ये परीक्षण ओडिशा के तट पर अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर तीन अलग-अलग उद्देश्यों को लक्ष्य करके किए गए।
IADWS के घटक
- त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (QRSAM)
- एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) प्रणाली।
- इसे सेना के गतिशील बख्तरबंद स्तंभों को हवाई हमलों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- परिचालन सीमा तीन से 30 किलोमीटर के बीच।
- इसकी विशेषताओं में खोजना और ट्रैक करना, लघु ठहराव पर फायर और 360 डिग्री रडार कवरेज शामिल हैं।
- पूर्णतः स्वचालित कमांड एवं नियंत्रण प्रणाली, दो रडार और एक लांचर के साथ अत्यधिक गतिशील।
- अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS)
- चौथी पीढ़ी की लघु मानव पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणाली (MANPAD)।
- यह 300 मीटर से छह किलोमीटर की सीमा के भीतर हवाई खतरों को बेअसर कर सकता है।
- ड्रोन और विभिन्न हवाई खतरों का मुकाबला करने में सक्षम।
- निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW)
- वाहन पर लगे लेजर ड्यू एमके-II(ए) का अप्रैल में CHESS द्वारा सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
- लक्ष्यों में फिक्स्ड-विंग UAV और तीन किलोमीटर से कम रेंज वाले स्वार्म ड्रोन शामिल हैं।
- संरचनात्मक क्षति पहुंचाने और निगरानी सेंसर को निष्क्रिय करने में सक्षम।
महत्व
- ये सफल परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक रणनीतिक छलांग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इन प्रणालियों का एकीकृत संचालन रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद द्वारा विकसित एक केंद्रीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- यह उपलब्धि मिसाइलों और निर्देशित ऊर्जा हथियारों के निर्बाध समन्वय को दर्शाती है, जिससे विविध हवाई खतरों के खिलाफ भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी।
रणनीतिक निहितार्थ
इन परीक्षणों को मिशन सुदर्शन चक्र की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा घोषित एक व्यापक रक्षा कवच स्थापित करना है।