भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर इथेनॉल मिश्रण का प्रभाव
भारत सरकार 2027 तक पेट्रोल में 27% इथेनॉल मिलाने के लक्ष्य के साथ जैव ईंधन मिश्रण अधिदेश को आक्रामक रूप से लागू कर रही है। सरकार निर्धारित समय से पहले ही 20% के इथेनॉल लक्ष्य तक पहुँचने के बाद अब इस इस लक्ष्य हो हासिल करना चाहती है। इस पहल से कच्चे तेल के आयात बिल और कार्बन उत्सर्जन में कमी आने और रोज़गार सृजन के साथ-साथ किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की उम्मीद है।
इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ
- आर्थिक सशक्तिकरण: मक्का और गन्ना जैसी इथेनॉल उत्पादक फसलों की बढ़ती मांग से किसानों को लाभ होता है।
- उत्पादन में वृद्धि: एक दशक में इथेनॉल उत्पादन में 17 गुना वृद्धि हुई है, चीनी मिलों की क्षमता तीन गुनी हो गई है तथा इथेनॉल क्षमता में महत्वपूर्ण निवेश किया गया है।
- वित्तीय लाभ: 20% सम्मिश्रण से किसानों को उल्लेखनीय लाभ होने की उम्मीद है तथा इस वित्तीय वर्ष में 43,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत होने का अनुमान है।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
- माइलेज की हानि: इथेनॉल में पेट्रोल की तुलना में प्रति लीटर लगभग 35% कम ऊर्जा होती है, जिसके कारण E20 के साथ 5-6% माइलेज की हानि हो सकती है तथा इंजन में सुधार के बिना E27 के साथ 7-8% अधिक माइलेज हानि हो सकती है।
- उपभोक्ता लागत: उच्च इथेनॉल मिश्रण से उपभोक्ताओं के ईंधन बिल में काफी वृद्धि हो सकती है, जिससे संभावित रूप से अनुमानित बचत कम हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: इथेनॉल उत्पादन ऊर्जा-गहन है और यह पेट्रोल से भी अधिक जलवायु परिवर्तन में योगदान दे सकता है।
- खाद्य मुद्रास्फीति: इथेनॉल उत्पादन के लिए कृषि भूमि को परिवर्तित करने से खाद्य आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो सकता है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
तकनीकी और बाजार संबंधी निहितार्थ
- वाहन अनुकूलता: भारत में अधिकांश कारें E20 मानकों के अनुकूल नहीं हैं, जिसके कारण रख-रखाव की लागत बढ़ जाती है और ईंधन टैंक में जंग लग जाती है।
- बाजार में भ्रम: गैस स्टेशनों पर इथेनॉल की मात्रा के संबंध में पारदर्शिता का अभाव उपभोक्ताओं में भ्रम और बाजार में अराजकता को बढ़ावा देता है।
- उद्योग की प्रतिक्रिया: ऑटो उद्योग ने अनुकूलन में देरी की तथा अस्पष्ट संदेश के कारण उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई।
सिफारिशें
- वैकल्पिक फोकस: पर्यावरणीय और आर्थिक आवश्यकताओं में संतुलन बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत गतिशीलता हेतु बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों और जन परिवहन के लिए जैव-मिश्रणों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- नीतिगत समायोजन: उपभोक्ता विरोध और बाजार में भ्रम को कम करने के लिए पेट्रोल की कीमतों में अंतर और स्पष्ट संचार की पेशकश की जानी चाहिए।
निष्कर्षतः, हालांकि सरकार की इथेनॉल सम्मिश्रण रणनीति का लक्ष्य कई आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करना है। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं, जिनका उपभोक्ताओं और उद्योग हितधारकों दोनों के लिए सुचारू ट्रांजीशन सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक समाधान किया जाना आवश्यक है।