केंद्र सरकार ने अप्रैल 2025 से वाहनों में ‘पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण (E20)’ कार्यक्रम लागू करना शुरू कर दिया है। वाहन मालिक अपने पुराने वाहनों पर इस मिश्रित ईंधन के प्रभाव और रखरखाव लागत में संभावित बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं।
- केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि E20, हाई ऑक्टेन रेटिंग के कारण वाहन के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है। ईंधन दक्षता में किसी भी तरह की कमी अक्सर अन्य कारणों से होती है। मंत्रालय ने वाहन पर प्रभाव एवं वाहनों के बीमा कवरेज को लेकर जनता को आश्वस्त किया है।
एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBPl) के वाहनों पर प्रभाव से जुड़ी प्रमुख चिंताएं
- वाहनों के कलपुर्जों पर असर: ऐसी चिंताएं जताई गई हैं कि एथेनॉल पुराने वाहनों या अपग्रेड नहीं किए गए वाहनों के रबड़, प्लास्टिक और धातु को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे रिसाव का खतरा बढ़ जाता है और कलपुर्जों में जंग लग सकता है।
- ईंधन को लेकर चिंताएं: एथेनॉल में पानी सोखने और फेज सेपरेशन का खतरा होता है। इससे वाहन के जाम होने और फ्यूल सिस्टम के विफल होने का खतरा बढ़ता है।
- इंजन कंबस्टन और कंट्रोल: एथेनॉल मिश्रण की वजह से पुराने या साधारण इंजन को एयर-फ्यूल एडस्टमेंट में कठिनाई आ सकती है। इससे ड्राइविंग और उत्सर्जन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- उत्सर्जन नियंत्रण: उच्च मात्रा में एथेनॉल मिश्रण से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और एल्डिहाइड उत्सर्जन बढ़ सकता है, यदि इंजन व कलपुर्जे इनके अनुसार डिज़ाइन न किए गए हों।
- पुराने और क्षेत्रीय स्तर पर संचालित वाहनों को लेकर चिंताएं: कई पुराने वाहन व दोपहिया वाहन एथेनॉल-अनुकूल पुर्ज़ों से लैस नहीं हैं। ऐसे में उच्च मात्रा वाले एथेनॉल मिश्रण की वजह से उनका संचालन प्रभावित हो सकता है।
एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के बारे में
- शुरुआत: इसे 2003 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य: पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देना।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय।
- लक्ष्य: 2025-26 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करना। पहले यह लक्ष्य तिथि 2030 थी।
