शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन
भारत के प्रधान मंत्री ने चीन के तियानजिन में दो दिवसीय SCO शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जो तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल के बीच सात वर्षों में उनकी पहली चीन यात्रा थी।
शिखर सम्मेलन का महत्व
- भू-राजनीतिक संदर्भ: प्रधान मंत्री की यह भागीदारी अमेरिका के साथ तनाव और भारत-चीन संबंधों में नरमी के बीच हो रही है।
- भारत की SCO अध्यक्षता: 2023 में भारत की अध्यक्षता के बावजूद, SCO कार्यक्रम जी20 गतिविधियों के कारण प्रभावित रहे तथा वर्चुअल शिखर सम्मेलन को दो घंटे तक सीमित कर दिया गया।
- ऐतिहासिक संदर्भ: विशेष रूप से 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं।
रणनीतिक अवसर
- द्विपक्षीय बैठकें: यह शिखर सम्मेलन भारत को संबंधों को पुनः स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
- भागीदारी: 20 देशों के नेताओं ने इसमें भाग लिया, जिससे यह अब तक का सबसे बड़ा SCO सम्मेलन बन गया।
प्रमुख विषय और पहलें
- SCO का मुख्य फोकस: संगठन मध्य एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता रहेगा।
- भारत की भूमिका: महत्वाकांक्षी बयानबाजी के बावजूद, भारत मध्य एशिया में एक सीमांत भागीदार बना हुआ है।
- BRI और CPEC: भारत को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर आपत्ति है, जिसे वह अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
भारत के रणनीतिक प्रस्ताव
- क्षेत्रीय परियोजनाएँ: भारत SCO ढांचे के भीतर ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी में महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का प्रस्ताव कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: कई SCO सदस्यों से भारतीय पहलों, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) में समर्थन की उम्मीद है।
राजनयिक जुड़ाव
- द्विपक्षीय वार्ता: चीन, रूस और मध्य एशिया के नेताओं के साथ संभावित उत्पादक बैठकें।
- ब्रिक्स अध्यक्षता: एक सक्रिय एजेंडा भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता को मजबूत कर सकता है।
तियानजिन में होने वाला शिखर सम्मेलन भले ही पूर्ण पुनर्निर्धारण का प्रतीक न हो, लेकिन यह यूरेशिया में भारत के लिए राहत और रणनीतिक अवसर प्रदान कर सकता है, जो उसके हिंद-प्रशांत फोकस को और भी अधिक सुदृढ़ करेगा।