शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के संयुक्त वक्तव्य पर भारत का रुख
भारत ने हाल ही में SCO के संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जो आतंकवाद से निपटने के लिए मंच की घोषित प्रतिबद्धता और भारत को लक्षित करने वाले पाकिस्तान-प्रायोजित उग्रवाद के प्रति उसकी नरमी के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर करता है।
प्रमुख घटनाएँ और मुद्दे
- 2025 की SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक: चीन के क़िंगदाओ में आयोजित इस बैठक में संयुक्त वक्तव्य से 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भों को हटा दिया गया।
- भारत के रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय आतंकवाद के खतरों के प्रतीक के रूप में पहलगाम हमले को शामिल करने की मांग की थी।
- पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को अवरुद्ध कर दिया।
- बलूचिस्तान को शामिल करना: बयान में बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का उल्लेख किया गया, जिससे नैरेटिव पाकिस्तान के पक्ष में मुड़ गया।
भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ
- बहुपक्षीय गतिशीलता: यह घटना आतंकवाद से लड़ने के लिए SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों पर निर्भर रहने की सीमाओं को रेखांकित करती है।
- SCO पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो अपने सहयोगी पाकिस्तान की रक्षा के लिए कार्य करता है।
- चीन पर अपनी रणनीतिक निर्भरता के कारण रूस द्वारा प्रतिसंतुलन स्थापित करना सम्भव नहीं है।
- क्षेत्रीय संबंध: भारत को क्षेत्रीय कूटनीति के प्रति अपने दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
- अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद पाकिस्तान एक रणनीतिक चुनौती बना हुआ है।
- सरकार बदलने के बाद से बांग्लादेश का चीन और पाकिस्तान के साथ गठबंधन दिल्ली को असहज कर सकता है।
भारत के लिए सिफारिशें
- राजनयिक चैनलों को पुनर्जीवित करना: इस्लामाबाद और रावलपिंडी के साथ संचार में सुधार करना।
- बांग्लादेश के साथ संबंधों को समायोजित करें: उपेक्षापूर्ण दृष्टिकोण से बचें और बेहतर संबंधों को बढ़ावा दें।
- आंतरिक धार्मिक ध्रुवीकरण को संबोधित करें: सुनिश्चित करें कि घरेलू राजनीति रणनीतिक जाल न बनाए।
यह प्रकरण भारत के लिए एक चेतावनी है कि वह SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों को अधिक महत्व न दे तथा बदलती क्षेत्रीय गतिशीलता के बीच पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करे।