प्रधान मंत्री की जापान यात्रा
आर्थिक संबंध और निवेश
- प्रधान मंत्री ने भारत की विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता पर जोर दिया तथा कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।
- जापान ने अगले दशक में भारत में 10 ट्रिलियन येन के निजी निवेश लक्ष्य की घोषणा की।
- JBIC और JETRO जैसे संगठन भारत को एक आशाजनक गंतव्य के रूप में रेखांकित करते हैं, जहां 80% जापानी कंपनियां भारत में विस्तार करना चाहती हैं।
रणनीतिक पहल और समझौते
- भारत-जापान एआई पहल और आर्थिक सुरक्षा पहल को फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन बढ़ाने के लिए शुरू किया गया।
- भारत-जापान लघु एवं मध्यम उद्यम (SMEs) फोरम की स्थापना का उद्देश्य दोनों देशों में SMEs के बीच सहयोग को मजबूत करना है।
हिंद-प्रशांत सहयोग
- भारत और जापान ने सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा जारी की, जिसमें स्वतंत्र और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका पर जोर दिया गया।
- घोषणापत्र में समुद्री क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने वाली या एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया गया।
क्षेत्रीय सहयोग और सुधार
- प्रधान मंत्री ने ऑटो क्षेत्र में सफल सहयोग पर प्रकाश डाला तथा बैटरी, रोबोटिक्स, सेमीकंडक्टर और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी इसी तरह के प्रयासों को प्रोत्साहित किया।
- भारत अपने सुधार एजेंडे के तहत रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को निजी निवेश के लिए खोल रहा है।
अतिरिक्त परिणाम और भविष्य की योजनाएँ
- तेरह परिणामों की घोषणा की गई, जिनमें हरित ऊर्जा वित्तपोषण, सुरक्षा सहयोग और खनिज संसाधन सहयोग पर समझौता ज्ञापन शामिल हैं।
- भारत और जापान के बीच 500,000 लोगों के आदान-प्रदान के लिए एक कार्य योजना अपनाई गई, जिसमें पांच वर्षों में भारत से जापान जाने वाले 50,000 कुशल कार्मिक भी शामिल होंगे।
प्रधान मंत्री ने वैश्विक दक्षिण में प्रवेश करने के इच्छुक जापानी व्यवसायों के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित किया तथा विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग का आह्वान किया।