भारत में डीकार्बोनाइजेशन और जलवायु वित्त
हाल ही में सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस (CSEP) द्वारा किए गए एक अध्ययन में भारत के प्रमुख क्षेत्रों में डीकार्बोनाइजेशन के लिए आवश्यक निवेश पर प्रकाश डाला गया है।
निवेश आवश्यकताएँ
- चार प्रमुख उत्सर्जन-गहन क्षेत्रों को महत्वपूर्ण रूप से कार्बन-मुक्त करने के लिए 2030 तक लगभग 467 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है।
- अध्ययन में बिजली, इस्पात, सीमेंट और सड़क परिवहन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो भारत के CO2 उत्सर्जन में आधे से अधिक का योगदान करते हैं।
डीकार्बोनाइजेशन का प्रभाव
- बिजली, सीमेंट और इस्पात क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने से 2030 तक लगभग 6.9 बिलियन टन CO2 उत्सर्जन कम हो जाएगा।
- भारत पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के पथ पर अग्रसर है तथा उसने पहले ही महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली हैं।