नेपाल जेनरेशन-Z का विरोध प्रदर्शन
नेपाल में 9 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध में भड़के थे, जिसके परिणामस्वरूप 19 लोगों की मौत हो गई और ख़ासकर युवाओं में काफ़ी अशांति फैल गई। सरकार द्वारा प्रतिबंध हटाने के फ़ैसले के बावजूद, असंतोष जारी है, जो देश के भीतर लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को उजागर करता है।
विरोध के कारण
- सरकारी नियमों का पालन न करने के कारण फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- सरकार का लक्ष्य साइबर अपराध और गलत सूचनाओं पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया को विनियमित करना था। इसका पालन न करने पर प्रतिबंध लगा दिए गए, और टिकटॉक जैसे कुछ प्लेटफॉर्म निलंबन से बचने के लिए समझौते पर पहुँच गए।
- प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अनुपालन की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि आलोचकों ने सरकार पर स्वतंत्र अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाया।
सामाजिक-आर्थिक संदर्भ
- युवा राजनीतिक नेताओं से निराश हैं, जिनमें से कई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और वे बार-बार सत्ता में आते रहते हैं।
- नेपाल की आर्थिक वृद्धि, जो धन प्रेषण द्वारा संचालित है, गुणवत्तापूर्ण नौकरियां प्रदान नहीं कर पाई है, क्योंकि यहां 82% कार्यबल अनौपचारिक रोजगार में है।
- राजनीतिक अस्थिरता और नेताओं के सीमित समूह पर निर्भरता ने स्थिति को और बदतर बना दिया है।
भ्रष्टाचार के आरोप
- नेपाल में पूर्व और वर्तमान प्रधानमंत्रियों सहित अधिकांश वरिष्ठ नेता विभिन्न भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
- इनमें सार्वजनिक भूमि का दुरुपयोग, अवैध कमीशन और शरणार्थी स्थिति से संबंधित धोखाधड़ी गतिविधियां शामिल हैं।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ
- विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से जेन जेड द्वारा किया गया, जिसमें स्कूल और युवा संगठन राजनीतिक दलों से स्वतंत्र रूप से जुटे थे।
- हामी नेपाल जैसे समूह सरकारी भ्रष्टाचार और अवसरों की कमी को प्रमुख मुद्दे बताते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नेपाल की स्थिति वहां के युवाओं के सामने मौजूद व्यापक सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों को दर्शाती है, जो पारदर्शिता, अवसर और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की मांग करते हैं।