नेपाल में प्रदर्शनों और आंदोलनों ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें सरकारी इमारतों एवं प्रमुख नेताओं के घरों पर हमले किए जा रहे हैं। इस कारण नेपाल के प्रधान मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा और देश अस्थिर राजनीतिक स्थिति में पहुंच गया।
नेपाल में संकट के लिए जिम्मेदार कारक
- जेन जेड की नाराज़गी: ये विरोध मुख्य रूप से भ्रष्टाचार; नेताओं और उनके परिवारों की विलासितापूर्ण जीवन शैली एवं विशेषाधिकारों; जवाबदेही की कमी तथा उच्च बेरोजगारी दर को लेकर जेन जेड के बीच व्यापक निराशा के कारण हो रहे हैं।
- असहमति का दमन: सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे जेन जेड की अभिव्यक्ति का मुख्य माध्यम छिन गया और बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।
- राज्य की अत्यधिक प्रतिक्रिया: अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी सहित अत्यधिक बल का प्रयोग किया। इस कृत्य ने जनता के गुस्से को और भड़का दिया।
भारत का समस्याग्रस्त पड़ोस और इसके प्रभाव
- क्षेत्रीय अस्थिरता: श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हो रहे घटनाक्रम दक्षिण एशिया की राजनीतिक नाजुकता को दर्शाते हैं।
- भारत के लिए जोखिम: पड़ोसी देशों में अशांति भारत के व्यापार, बाज़ारों, आपूर्ति श्रृंखलाओं और विप्रेषण पर बुरा असर डालती है।
- शरणार्थी और प्रवासन की चिंताएं: इन संकटों की वजह से होने वाले शरणार्थी आव्रजन से मानवीय एवं सीमा प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियां पैदा होती हैं।
- सुरक्षा निहितार्थ: अस्थिरता से भारत की सीमा सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिरीकरण की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं।
- कूटनीतिक चुनौतियां: लंबे समय तक चलने वाली अशांति पड़ोसियों के साथ भारत के रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर दबाव डालती है।
निष्कर्ष
भारत के लिए नेपाल की राजनीतिक स्थिरता के महत्त्व को देखते हुए, भारत के प्रधान मंत्री ने सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की एक बैठक की और कहा कि नेपाल की स्थिरता, शांति एवं समृद्धि भारत के लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है।