सुपरकंप्यूटर: कंप्यूटिंग जगत के दिग्गज
सुपरकंप्यूटर ऐसी उन्नत मशीनें हैं जिन्हें अविश्वसनीय रूप से जटिल, बड़े पैमाने की और गणना-गहन समस्याओं को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिन्हें हल करने में सामान्य कंप्यूटरों को वर्षों लग सकते हैं। ये मौसम की भविष्यवाणी करने, परमाणु प्रतिक्रियाओं का अनुकरण और प्रारंभिक ब्रह्मांड के मॉडलिंग जैसे कार्यों के लिए आवश्यक हैं।
समानांतर कंप्यूटिंग
- मूल अवधारणा: एकल प्रोसेसर पर निर्भर रहने के बजाय, सुपर कंप्यूटर एक साथ काम करने वाले हजारों या लाखों प्रोसेसर का उपयोग करते हैं, जिसे समानांतर कंप्यूटिंग के रूप में जाना जाता है।
- प्रक्रिया: प्रत्येक प्रोसेसर (या कोर) समस्या के एक छोटे से हिस्से का समाधान करता है। संयुक्त होने पर, ये समाधान एकल प्रोसेसर की तुलना में तेज़ी से संपूर्ण समाधान प्रदान करते हैं।
भारत की सुपरकंप्यूटिंग पहल
- ऐतिहासिक संदर्भ: भारत की सुपरकंप्यूटिंग यात्रा 1980 के दशक के अंत में PARAM श्रृंखला के साथ शुरू हुई।
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM): स्वदेशी प्रणालियों को विकसित करने और पूरे भारत में उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग का विस्तार करने के लिए 2015 में शुरू किया गया।
- वर्तमान अग्रणी: पुणे स्थित सी-डैक में एरावत-PSAI भारत की सबसे तेज प्रणाली है, जबकि अन्य प्रणालियां शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में स्थापित हैं।
- अनुप्रयोग: मौसम और जलवायु मॉडलिंग, आणविक गतिशीलता, नैनो प्रौद्योगिकी, एआई मॉडल, और बहुत कुछ।