भारत के सेवा क्षेत्र में रोजगार के रुझान
नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की केंद्रीयता और विरोधाभासी प्रकृति को उजागर करती है। अपनी तीव्र वृद्धि के बावजूद, यह क्षेत्र अभी भी काफी हद तक अनौपचारिक बना हुआ है, जिससे रोज़गार की असुरक्षा और कम वेतन एक समस्या बनी हुई है।
मुख्य निष्कर्ष
- रोजगार में अनौपचारिकता: सेवा क्षेत्र की अधिकांश नौकरियां अनौपचारिक हैं, जिनमें नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण का अभाव है।
- रोजगार वृद्धि: इस क्षेत्र में 2023-24 में लगभग 188 मिलियन श्रमिकों को रोजगार मिला, तथा पिछले छह वर्षों में 40 मिलियन नौकरियां जुड़ीं।
- योगदान बनाम रोजगार: यद्यपि सेवाएं राष्ट्रीय उत्पादन में आधे से अधिक का योगदान करती हैं, लेकिन वे कुल नौकरियों के एक तिहाई से भी कम का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनमें से अधिकांश कम वेतन वाली हैं।
- संरचनात्मक विभाजन: IT और वित्त जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्र उत्पादक हैं, लेकिन उनमें बहुत कम लोग काम करते हैं, जबकि व्यापार जैसी पारंपरिक सेवाएं कार्यबल पर हावी हैं, लेकिन अनौपचारिक बनी हुई हैं।
- छिपी हुई अनौपचारिकता: वेतनभोगी श्रमिकों में से पांच में से दो के पास बुनियादी सामाजिक सुरक्षा का अभाव है, जो महत्वपूर्ण अनौपचारिकता को दर्शाता है।
जेंडर पर प्रभाव
- महिला रोजगार: सेवा क्षेत्र महिलाओं के रोजगार के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, लेकिन जेंडर संबंधी वेतन अंतर अभी भी बना हुआ है।
- वेतन असमानताएं: ग्रामीण महिलाएं पुरुषों के वेतन का 50% से भी कम कमाती हैं, जबकि शहरी महिलाएं पुरुषों के वेतन का 84% कमाती हैं।
- अपवाद: ICT, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की कमाई पुरुषों के बराबर या उनसे अधिक होती है।
नीतिगत सिफारिशें
रिपोर्ट में चार भागों वाला नीतिगत रोडमैप प्रस्तावित किया गया है:
- गिग, स्व-नियोजित और MSME श्रमिकों के लिए औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाना।
- महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए लक्षित कौशल और डिजिटल पहुंच।
- उभरती और हरित अर्थव्यवस्था कौशल में निवेश करना।
- टियर-II और टियर-III शहरों में सेवा केंद्रों के माध्यम से संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना।
यह रिपोर्ट नीति आयोग के CEO बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, प्रोफेसर अरविंद विरमानी और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी.अनंत नागेश्वरन द्वारा जारी की गई, जिसका उद्देश्य सेवा क्षेत्र में रोजगार का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करना है।