इसरो द्वारा GSAT-7R संचार उपग्रह का प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 नवंबर को भारतीय नौसेना के लिए 4,410 किलोग्राम वजनी GSAT-7R उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जिससे यह भारतीय धरती से प्रक्षेपित किया गया अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह बन गया। इस मिशन में इसरो के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान, LVM-3 रॉकेट का उपयोग किया गया।
भारत के संचार उपग्रहों की मुख्य विशेषताएं
- विस्तृत कवरेज और उच्च शक्ति : इन उपग्रहों को पूरे देश और आसपास के समुद्रों को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके लिए C (4-8 GHz), Ku (12-18 GHz) और कभी-कभी Ka (27-40 GHz) जैसे कई आवृत्ति बैंड की आवश्यकता होती है।
- लंबी सेवा अवधि : विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए अतिरेक (डुप्लिकेट सिस्टम) के साथ 12-15 वर्षों तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे वजन और बढ़ जाता है।
भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (GTO)
- कक्षा और प्रणोदन : उपग्रहों को प्रारंभ में प्रक्षेपण यान द्वारा जीटीओ में रखा जाता है, फिर वे अपने प्रणोदन प्रणालियों का उपयोग करके अपनी अंतिम कक्षा में चले जाते हैं।
- ईंधन की आवश्यकता : भारतीय उपग्रहों पर रासायनिक प्रणोदन प्रणालियों को कक्षा-उन्नयन और स्टेशन-कीपिंग युद्धाभ्यास के लिए एक दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण ईंधन की आवश्यकता होती है।