दिल्ली में GPS स्पूफिंग की घटनाएं
दिल्ली के ऊपर से उड़ान भरने वाले विमानों को हाल ही में गंभीर GPS स्पूफिंग का सामना करना पड़ा है, जिससे गलत नेविगेशन डेटा और भ्रामक भू-भाग चेतावनियाँ सामने आ रही हैं। इससे पायलटों और हवाई यातायात नियंत्रकों के लिए गंभीर चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं।
घटना का अवलोकन
- दिल्ली के 60 समुद्री मील के दायरे में GPS स्पूफिंग की घटनाएं सामने आई हैं।
- नेविगेशन मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हवाई यातायात नियंत्रकों द्वारा मैन्युअल हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है।
- दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचने और उड़ान भरने के दौरान पायलटों को गलत भू-भाग चेतावनियां मिलीं, जिसके कारण उड़ान में देरी हुई।
सरकार और उद्योग की प्रतिक्रिया
- नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) इन घटनाओं की जांच कर रहा है।
- इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA अधिकारियों के बीच एक बैठक आयोजित की गई है।
- आस-पास के क्षेत्र में सैन्य अभ्यास के लिए सावधानी बरतने की कोई सलाह नहीं दी गई थी।
वैश्विक संदर्भ और सांख्यिकी
- पाकिस्तान और म्यांमार से लगती भारत की सीमाओं के पास GPS स्पूफिंग की घटनाएं असामान्य नहीं हैं।
- नवंबर 2023 और फरवरी 2025 के बीच भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में 465 GPS हस्तक्षेप घटनाएं दर्ज की गईं।
- 2021 से 2024 तक, वैश्विक स्तर पर GPS सिग्नल हानि के मामलों में 220% की वृद्धि हुई।
- अक्सर आने वाले हॉटस्पॉट में पश्चिमी रूस और उत्तरी इराक शामिल हैं।
सुरक्षा उपाय और सिफारिशें
- विमान प्रणालियों में GPS स्पूफिंग के बावजूद सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम जैसी अतिरेकताएं होती हैं।
- पायलटों को सिस्टम संदेशों, प्रदर्शन में गिरावट, तथा NOTAMs और ATC जैसे अन्य सूचना स्रोतों के साथ क्रॉस-रेफरेंसिंग के माध्यम से स्पूफिंग के प्रति सचेत किया जाता है।
- IATA और यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी GPS हस्तक्षेप जोखिमों को कम करने के लिए चार-आयामी रणनीति की वकालत करते हैं, जिसमें बेहतर रिपोर्टिंग और तकनीकी समाधानों का विकास शामिल है।