ऑपरेशन चक्र-V: अंतर्राष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी का मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक अंतर्राष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन चक्र-V नामक एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया है, जिसने पूरे भारत में हजारों नागरिकों को प्रभावित किया है।
ऑपरेशन का मुख्य विवरण
- 14 अक्टूबर, 2025 को तीन राज्यों: तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में तलाशी ली गई।
- इस अभियान के तहत साइबर धोखाधड़ी में शामिल तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
- यह जांच गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से प्राप्त इनपुट के आधार पर शुरू की गई थी।
धोखाधड़ी नेटवर्क की कार्य-प्रणाली
- धोखेबाजों में भारतीय और विदेशी नागरिक शामिल थे, जो ऑनलाइन निवेश और अंशकालिक नौकरियों पर उच्च रिटर्न के झूठे वादे करके पीड़ितों को लुभाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते थे।
- उन्होंने संभावित पीड़ितों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, मोबाइल एप्लिकेशन और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सेवाओं का इस्तेमाल किया।
- अपराध से अर्जित आय को सफेद करने के लिए, विशेष रूप से बेंगलुरु में, फर्जी कंपनियां बनाई गईं।
- ई-कॉमर्स या फिनटेक में रोजगार के नाम पर व्यक्तियों को धोखे से इन फर्जी कंपनियों में निदेशक नियुक्त किया गया।
धोखाधड़ी की तकनीकें
- समूह ने अपनी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल विज्ञापन, बल्क SMS अभियान और सिम बॉक्स संचार प्रणालियों का इस्तेमाल किया।
- टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से भर्ती की गई, जिसमें KYC दस्तावेजों का उपयोग करके फर्जी प्रोफाइल और कंपनियां बनाई गईं।
- फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग करके उन्होंने फर्जी कंपनियां बनाईं और पीड़ितों से धन प्राप्त करने के लिए अनेक बैंक खाते खोले।
वित्तीय संचालन
- एकत्रित धनराशि को विभिन्न भुगतान गेट-वे, UPI प्लेटफॉर्म और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के माध्यम से स्थानांतरित किया गया ताकि उनका स्रोत गुप्त रखा जा सके।
- बड़ी मात्रा में धनराशि को क्रिप्टोकरेंसी, सोने में परिवर्तित कर दिया गया या अवैध माध्यमों से विदेश में स्थानांतरित कर दिया गया।
- भारतीय संचालक अवैध ऑनलाइन जुआ और निवेश धोखाधड़ी में शामिल विदेशी नियंत्रित संस्थाओं के अधीन काम करते थे।
- फर्जी संस्थाओं से जुड़े खातों में पर्याप्त वित्तीय प्रवाह का पता चला।