कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन
लेख में समाज और भोजन के बीच विकसित होते संबंधों पर चर्चा की गई है, तथा कार्यात्मक खाद्य पदार्थों और स्मार्ट प्रोटीन के उद्भव पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
कार्यात्मक खाद्य पदार्थों
- समृद्ध खाद्य पदार्थ जो स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं या बीमारी को रोकते हैं।
- उदाहरणों में विटामिन-समृद्ध चावल और ओमेगा-3-फोर्टिफाइड दूध शामिल हैं।
- शामिल प्रौद्योगिकियां:
- न्यूट्रीजीनोमिक्स: पोषण और जीन अंतःक्रिया का अध्ययन।
- जैव-सुदृढ़ीकरण: फसलों के पोषण मूल्य में वृद्धि।
- 3डी खाद्य मुद्रण और जैव प्रसंस्करण: नवीन खाद्य उत्पादन विधियाँ।
स्मार्ट प्रोटीन
- जैव प्रौद्योगिकी से प्राप्त प्रोटीन से पारंपरिक पशु उत्पादों पर निर्भरता कम होगी।
- श्रेणियों में शामिल हैं:
- पादप-आधारित प्रोटीन: फलियां, अनाज या तिलहन का उपयोग करके पशु मांस और डेयरी की नकल करें।
- किण्वन-व्युत्पन्न प्रोटीन: सूक्ष्मजीव प्रणालियों द्वारा उत्पादित।
- संवर्धित मांस: पशुओं को मारे बिना बायोरिएक्टर में उगाया गया।
भारत में पोषण और नीतिगत संदर्भ
भारत को पोषण संबंधी बदलाव लाने और साथ ही स्थायित्व सुनिश्चित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य और विकास संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए , खाद्य सुरक्षा से हटकर पोषण सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- एक तिहाई से अधिक भारतीय बच्चे अविकसित हैं।
- वयस्क प्रोटीन सेवन में शहरी-ग्रामीण विभाजन।
- आहार में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन की आवश्यकता।
सरकार और उद्योग की पहल
- भारत की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी (बायोE3) नीति के तहत मान्यता प्राप्त।
- जैव-फोर्टिफाइड फसलों और स्मार्ट प्रोटीन में डीबीटी और बीआईआरएसी द्वारा वित्त पोषण और अनुसंधान।
- टाटा, आईटीसी और मैरिको जैसी कंपनियों द्वारा निजी क्षेत्र में निवेश।
चुनौतियाँ और वैश्विक संदर्भ
- विनियामक अंतराल, सीमित बुनियादी ढांचा और उपभोक्ता धारणा संबंधी मुद्दे।
- जापान और सिंगापुर क्रमशः कार्यात्मक खाद्य पदार्थों और संवर्धित मांस विनियमन में अग्रणी हैं।
- चीन और यूरोपीय संघ वैकल्पिक प्रोटीन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव
- भारत के लिए वैश्विक पादप-आधारित खाद्य बाजार में एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है, जिसका मूल्य 2030 तक 85 बिलियन डॉलर से 240 बिलियन डॉलर तक होगा।
- पर्यावरणीय लाभों में उत्सर्जन में कमी और भूमि क्षरण में कमी शामिल है।
- चुनौतियों में नवाचार में देरी और बाजार संकेन्द्रण जोखिम शामिल हैं।
सिफारिशों
- FSSAI द्वारा नवीन खाद्य पदार्थों के लिए राष्ट्रीय नियामक ढांचा।
- अंतर-मंत्रालयी समन्वय और सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
- कार्यबल का कौशल उन्नयन और सार्वजनिक शिक्षा।
लेखिका: शांभवी नाइक, तक्षशिला संस्थान की स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान नीति की अध्यक्ष।