वन्यजीव अभयारण्यों के पास खनन पर सर्वोच्च न्यायालय का प्रतिबंध
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय वन्यजीवों को खनन के खतरनाक प्रभावों से बचाने के लिए लिया गया है।
फैसले के मुख्य विवरण
- संदर्भ: यह निर्णय झारखंड में सारंडा वन्यजीव अभयारण्य (SWL) और सासंगदाबुरु संरक्षण रिजर्व (SCR) से संबंधित याचिकाओं पर विचार के दौरान जारी किया गया।
- न्यायिक पीठ: यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ द्वारा लिया गया।
- अखिल भारतीय निहितार्थ: यद्यपि इसी प्रकार के प्रतिबंध पहले गोवा में लागू किए गए थे, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्देश को पूरे देश में लागू कर दिया।
झारखंड सरकार को निर्देश
- वन्यजीव अभयारण्य की अधिसूचना: झारखंड सरकार को इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया है।
- अधिकारों का संरक्षण: न्यायालय ने वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों और वनवासियों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया।
- जन जागरूकता: इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य सरकार को सुरक्षा उपायों का व्यापक प्रचार करना चाहिए।
पृष्ठभूमि और प्रस्ताव
- पारिस्थितिक महत्व: न्यायालय ने पहले सारंडा क्षेत्र को उसकी पारिस्थितिक समृद्धि के कारण आरक्षित वन घोषित करने का आग्रह किया था।
- अभयारण्य के लिए प्रस्तावित क्षेत्र: झारखंड सरकार 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने की योजना बना रही है, जो कि 31,468.25 हेक्टेयर के प्रारंभिक प्रस्ताव से अधिक है।