बाघ सफ़ारी और संरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने बाघ सफारी की स्थापना एवं विनियमन तथा बाघ अभयारण्यों में संरक्षण प्रयासों के संबंध में निर्देश जारी किए।
बाघ सफारी संबंधी नियम
- स्थान संबंधी प्रतिबंध: बाघ सफारी केवल गैर-वन भूमि या बफर क्षेत्रों में अवक्रमित वन भूमि पर स्थापित की जानी है, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे बाघ गलियारे का हिस्सा नहीं हैं।
- कोर क्षेत्र निषेध: कोर या महत्वपूर्ण बाघ आवास क्षेत्रों में सफारी निषिद्ध है।
- बचाव एवं पुनर्वास आवश्यकता: सफारी को बाघों के लिए पूर्णतः विकसित बचाव एवं पुनर्वास केंद्र से संबद्ध होना चाहिए।
पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZs)
- न्यूनतम क्षेत्र: ESZs कम से कम टाइगर रिजर्व का बफर या फ्रिंज क्षेत्र होना चाहिए।
- अधिसूचना की आवश्यकता: सभी बाघ अभयारण्यों को एक वर्ष के भीतर ESZs अधिसूचित करना होगा।
- निषिद्ध गतिविधियाँ: बफर और फ्रिंज क्षेत्रों में वाणिज्यिक खनन, आरा मिल और प्रदूषणकारी उद्योग जैसी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
पर्यटन और बुनियादी ढांचा विकास
- विनियमित पर्यटन: पारिस्थितिक पर्यटन को सामूहिक पर्यटन जैसा नहीं होना चाहिए तथा इसे ESZs अधिसूचनाओं के अनुसार विनियमित किया जाना चाहिए।
- बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ: बफर क्षेत्र में नए पर्यावरण-अनुकूल रिसॉर्ट्स की अनुमति है, लेकिन चिन्हित गलियारों में नहीं। होमस्टे को प्रोत्साहित किया जाता है।
- मोबाइल और रात्रि पर्यटन प्रतिबंध: मुख्य आवासों में मोबाइल फोन का उपयोग और रात्रि पर्यटन निषिद्ध है।
यातायात और संरक्षण संबंधी योजनाएँ
- रात्रि यातायात विनियमन: आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर, मुख्य आवासों से गुजरने वाली सड़कों पर रात्रि में सख्त विनियमन।
- संरक्षण योजना समय-सीमा: राज्यों को तीन महीने के भीतर बाघ संरक्षण योजना तैयार या संशोधित करनी होगी तथा छह महीने के भीतर कोर और बफर क्षेत्रों को अधिसूचित करना होगा।