MSME में व्यापार करने में आसानी पर ऑडिट
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी का आकलन करने के लिए एक ऑडिट कर रहे हैं। यह पहल पारंपरिक वित्तीय और अनुपालन ऑडिट से आगे बढ़कर सरकारी सुधारों के परिणामों और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने की CAG की रणनीति का हिस्सा है।
- ऑडिट रिपोर्ट 2026 में संसद के मानसून सत्र में प्रस्तुत की जाएगी।
- उद्देश्य: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एमएसएमई के लिए कारोबारी माहौल में सुधार लाने के उद्देश्य से सुधारों के कार्यान्वयन का आकलन करना।
- यह ऑडिट 2047 तक भारत के विकसित देश बनने के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें MSME को एक महत्वपूर्ण विकास इंजन के रूप में मान्यता दी गई है।
- MSME भारत के निर्यात में लगभग 45% और सकल घरेलू उत्पाद में 30% का योगदान करते हैं।
- मूल्यांकन के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:
- विनियमों का सरलीकरण
- प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण
- व्यवसायों को प्रभावित करने वाले छोटे अपराधों का गैर-अपराधीकरण
- प्रमुख एमएसएमई योजनाओं की प्रभावशीलता और संसाधन उपयोग
- इस ऑडिट का उद्देश्य MSME क्षेत्रक के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर नीति-निर्माण को बढ़ावा देना है।
एक समान व्यय रिपोर्टिंग प्रारूप
वित्तीय रिपोर्टिंग में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कैग ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यय मदों की एक सामान्य सूची स्थापित की है।
- राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस समन्वित सूची को वर्ष 2027-28 तक अपना लें।
- व्यय रिपोर्टिंग में वर्तमान विविधताएं राज्यों और समयावधियों के बीच तुलनात्मक विश्लेषण में बाधा डालती हैं।
- सामंजस्यपूर्ण प्रारूप का उद्देश्य सार्वजनिक व्यय आकलन की सटीकता में सुधार करना है।