इस संग्रह में 18 राज्यों में 74वें संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के परफॉर्मेंस ऑडिट के मुख्य निष्कर्ष शामिल हैं।
- गौरतलब है कि 74वें संशोधन अधिनियम द्वारा भारत के संविधान में भाग IXA जोड़ा गया था। यह भाग शहरी स्थानीय स्वशासन (ULSGs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- यह संशोधन राज्य विधान-मंडलों को स्थानीय निकायों के संबंध में कानून बनाने के लिए अधिकृत करता है। राज्यों के कानून स्थानीय निकायों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने हेतु उन्हें शक्तियां और अधिकार प्रदान करते हैं।
- इस संशोधन द्वारा संविधान में 12वीं अनुसूची जोड़ी गई है। इसमें शहरी स्थानीय निकायों को सौंपे जाने वाले 18 विशिष्ट कार्यों की सूची दी गई है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- स्वायत्तता: वैसे तो 12वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 18 में से 17 कार्य कानून द्वारा शहरी स्थानीय निकायों को सौंपे गए हैं, लेकिन केवल 4 कार्य ही पूर्ण स्वायत्तता के साथ प्रभावी रूप से सौंपे गए हैं।
- महिलाओं की भागीदारी: 6 राज्यों ने अपनी नगर-परिषद सीटों का 50% महिलाओं के लिए आरक्षित किया है। यह 33% आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान से अधिक है।
- शहरी स्थानीय निकायों के वित्तीय स्रोत: शहरी स्थानीय निकायों के औसतन कुल राजस्व का केवल 32% ही उनके अपने राजस्व-स्रोतों से प्राप्त होता है। शेष वित्त-पोषण केंद्र और राज्य सरकारों से अनुदान या ट्रांसफर के रूप में प्राप्त होता है।
- शहरी स्थानीय निकायों के कुल व्यय और उनके वित्तीय संसाधनों के बीच 42% का अंतर मौजूद है। उनके कुल व्यय का केवल 29% ही कार्यक्रम और विकास कार्यों पर खर्च होता है।
- कर्मचारी: शहरी स्थानीय निकायों में स्वीकृत कुल कर्मियों की संख्या में औसत 37% रिक्तियां हैं।
74वें संविधान संशोधन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए सिफारिशें
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