न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश बने
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 24 नवंबर, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। राज्य विधेयकों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य के राज्यपालों पर लगाई गई समय-सीमा के संबंध में राष्ट्रपति के संदर्भ पर सलाह देने के तुरंत बाद उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ।
न्यायिक दृष्टिकोण और योगदान
- न्यायमूर्ति कांत विवादों को टकराव के बजाय बातचीत के माध्यम से सुलझाने के पक्षधर माने जाते हैं।
- उन्होंने किसानों और सरकार के बीच बातचीत कराकर किसान आंदोलन को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनके कार्यकाल की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले से निपटने के लिए समीक्षा की जाएगी, जिसका विस्तार 12 राज्यों तक हो चुका है और जिससे 51 करोड़ लोग प्रभावित हो रहे हैं।
कानूनी सुधारों और लंबित मामलों पर ध्यान केंद्रित
- सर्वोच्च न्यायालय में लंबित 90,000 से अधिक मामलों को कम करना उनके कार्यकाल के दौरान सर्वोच्च प्राथमिकता है, जो 2 फरवरी, 2027 तक चलेगा।
- न्यायमूर्ति कांत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि प्रभावशाली पक्षकार विविध आवेदनों के साथ बार-बार सुप्रीम कोर्ट में लौट रहे हैं, जिससे लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है।
भविष्य की चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
- न्यायमूर्ति कांत से अपेक्षा की जाती है कि वे वर्तमान न्यायाधीशों द्वारा न्यायिक प्रभाव के दुरुपयोग और घृणास्पद भाषण के आरोपों जैसे मुद्दों पर विचार करेंगे।
- यह भी उम्मीद है कि कांत कॉलेजियम सर्वोच्च न्यायालय में और अधिक महिला न्यायाधीशों को शामिल करने पर विचार करेगा।
पृष्ठभूमि और प्रारंभिक कैरियर
- 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे न्यायमूर्ति कांत 2000 में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता थे।
- वह 2004 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और बाद में 2018 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।