न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की | Current Affairs | Vision IAS
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    न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की

    Posted 25 Nov 2025

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    न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया, वरिष्ठता परंपरा, न्यायिक भूमिकाएं तथा न्यायिक जवाबदेही और प्रशासन की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला गया।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति प्रक्रिया

    • प्रक्रिया: सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा प्राप्त होने के बाद, केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री यह अनुशंसा प्रधान मंत्री को भेजता है। फिर प्रधान मंत्री नामित व्यक्ति को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सलाह राष्ट्रपति को देता है।
    • वरिष्ठता संबंधी परिपाटी: सेकंड जजेस मामले (1993) में यह स्थापित किया गया था कि उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को ही CJI नियुक्त किया जाना चाहिए।
    • संवैधानिक आधार: CJI और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

    उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति

    • कॉलेजियम की सिफारिश: अनुच्छेद 124(2) के तहत, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा कॉलेजियम की सलाह पर नियुक्त किया जाता है।
      • कॉलेजियम की अध्यक्षता CJI करता है और इसमें शीर्ष न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
    • कॉलेजियम प्रणाली का विकास थ्री जजेज मामलों (1981, 1993, और 1998) के माध्यम से हुआ है।

    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए पात्रता मानदंड

    • वह व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए और उसके पास निम्नलिखित में से कोई एक योग्यता होनी चाहिए:
    • किसी उच्च न्यायालय का 5 वर्ष तक न्यायाधीश रहा हो, या
    • किसी उच्च न्यायालय में 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो, या
    • राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित न्यायविद हो।
    • कार्यकाल: 65 वर्ष की आयु तक पद धारण करते हैं।
    • नोट: जो व्यक्ति उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका है, वह भारत में किसी भी न्यायालय या किसी अन्य प्राधिकरण के समक्ष वकालत नहीं कर सकता है।

    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाना

    • हटाने का आधार: केवल "सिद्ध कदाचार, या अक्षमता" के आधार पर {अनुच्छेद 124(4)}।
    • राष्ट्रपति किसी न्यायाधीश को तभी हटा सकता है, जब संसद के दोनों सदन एक विशेष प्रस्ताव पारित कर दें।
      • इस प्रस्ताव को निम्नलिखित का समर्थन प्राप्त होना चाहिए:
        • प्रत्येक सदन की कुल सदस्यता का बहुमत, और
        • उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत।
    • दोनों सदनों को इस प्रस्ताव को एक ही सत्र में पारित करना होगा।
    • न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीश जांच अधिनियम (1968) द्वारा विनियमित होती है।

    CJI की प्रमुख भूमिकाएं और शक्तियां

    • न्यायिक नेतृत्व: उच्चतम न्यायालय का नेतृत्व करता है, संविधान पीठों की अध्यक्षता करता हैं और मामलों का आवंटन करता है।
    • प्रशासनिक अधिकार: रोस्टर (मामलों के आवंटन की तालिका) को नियंत्रित करता है, न्यायालय प्रशासन की देखरेख करता हैं, और न्यायिक प्रणाली के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है।
    • न्यायिक विज़न: लंबित मामलों को कम करने, वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देने और संवैधानिक शासन को मजबूत करने जैसी प्राथमिकताओं को आकार देता है।
    • Tags :
    • CJI
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