पशु क्रूरता पर असम विधान सभा का संशोधन
विधेयक का अवलोकन
असम विधानसभा ने पशु क्रूरता निवारण (असम संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया है, जिसका उद्देश्य माघ बिहू उत्सव के दौरान भैंसों की लड़ाई (मोह-जुज) की अनुमति देना है। यह तमिलनाडु में होने वाले जल्लीकट्टू आयोजन के समान है।
पेटा इंडिया द्वारा आलोचना
- पेटा इंडिया के अनुसार, यह कदम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 को कमजोर करता है, जो पशुओं को लड़ने के लिए मजबूर करने पर प्रतिबंध लगाता है।
- यह विधेयक अनुच्छेद 48ए और 51A(G) के तहत पशुओं की रक्षा के संवैधानिक कर्तव्यों का खंडन करता है।
- यह भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए. नागराजा (2014) और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम भारत संघ (2023) में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की अवहेलना करता है।
- पेटा इंडिया के वरिष्ठ नीति एवं कानूनी सलाहकार विक्रम चंद्रवंशी ने कहा कि यह विधेयक भैंसों के प्रति क्रूरता की अनुमति देता है, जिससे असम के पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पर्यटक राज्य में पशु संरक्षण की अपेक्षा रखते हैं।
कानूनी मिसालें और चिंताएँ
- पेटा इंडिया की याचिका पर गौर करते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार द्वारा 27 दिसंबर 2023 को जारी एसओपी को रद्द कर दिया था, जिसमें भैंस और बुलबुल पक्षियों की लड़ाई को PCA अधिनियम 1960 और बुलबुल के मामले में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन करने के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था।
- भैंसें, शिकार करने वाले जानवर होने के कारण, स्वाभाविक रूप से घबराई हुई होती हैं, और उनके संचालक उन्हें उकसाकर लड़ाई भड़काते हैं।
- 16 जनवरी 2024 को मोरीगांव जिले के अहातगुरी में भैंसों की लड़ाई के दौरान पेटा इंडिया द्वारा की गई जांच में पाया गया कि भैंसों को लाठियों और नंगे हाथों से उकसाया गया था, जिससे वे घायल हो गईं।
- पेटा इंडिया ने असम सरकार से इस विधेयक को रद्द करने का आग्रह किया, ताकि भारत के सांस्कृतिक मूल्यों अहिंसा और करुणा को बढ़ावा मिले।