विमानन में GPS स्पूफिंग और जैमिंग को लेकर चिंताएं
अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (IATA) द्वारा उठाए गए मुद्दे के अनुसार, उड़ानों को प्रभावित करने वाली GPS स्पूफिंग और जैमिंग की बढ़ती घटनाओं का मुद्दा एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह संगठन एयर इंडिया, इंडिगो, एयर इंडिया एक्सप्रेस और स्पाइसजेट सहित लगभग 360 एयरलाइनों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक हवाई यातायात के 80% से अधिक को कवर करता है।
हाल की घटनाएं और वैश्विक प्रभाव
- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, बैंगलोर और चेन्नई जैसे प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर GPS स्पूफिंग और हस्तक्षेप के मामले दर्ज किए गए हैं।
- IATA के अधिकारियों ने विश्व स्तर पर इन घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जिसके कारण पायलटों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- प्रति 1,000 उड़ानों में GPS सिग्नल लॉस की घटनाओं की संख्या को दर्शाने वाली GPS लॉस दर, 2022 में 31 से बढ़कर 2025 में अनुमानित 59 होने का अनुमान है।
GPS हस्तक्षेप का उद्भव और प्रसार
- शुरुआत में मध्य पूर्व में सामने आए इस मुद्दे ने रूसी-यूक्रेनी संघर्ष के कारण पूर्वी यूरोप तक भी अपना विस्तार किया।
- अब इस तरह की घटनाएं भारत, एशिया और वेनेजुएला जैसे क्षेत्रों में भी हो रही हैं।
डेटा और शमन प्रयास
- ग्लोबल एविएशन डेटा मैनेजमेंट (GADM) का हिस्सा, फ्लाइट डेटा एक्सचेंज (FDX) कार्यक्रम, इन रुझानों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- FDX डेटा GPS हस्तक्षेप में लगातार वृद्धि का संकेत देता है, जो केवल उड़ान की मात्रा से जुड़ा नहीं है।
- जोखिमों को कम करने के प्रयासों में जागरूकता बढ़ाना और संबंधित हितधारकों के बीच समन्वय और संचार को बेहतर बनाना शामिल है।
सरकारी रिपोर्टिंग और प्रतिक्रिया
भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नवंबर 2023 से दो वर्षों में GPS हस्तक्षेप के 1,951 मामलों की रिपोर्ट की है, जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जारी एक परामर्श परिपत्र के बाद सामने आए हैं।