सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) दिवस
12 दिसंबर को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस मनाया जाता है, जिसकी मुख्य थीम है: “स्वास्थ्य सेवाओं की असहनीय लागत? हम इससे तंग आ चुके हैं!”। यह स्वास्थ्य देखभाल के वित्तीय बोझ पर केंद्रित है।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज बनाम सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC): यह बीमारी के लिए कवरेज पर केंद्रित है, जिसमें वित्तीय सुधारों और जोखिम सुरक्षा पर जोर दिया जाता है।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा: इसमें निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, पुनर्वासात्मक और प्रशामक देखभाल तक व्यापक पहुंच शामिल है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान रुझान
स्वास्थ्य के सार्वभौमिक मानवाधिकार पर आधारित, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) को अंतरराष्ट्रीय समझौतों और WHO की घोषणाओं, जैसे कि 1978 की अल्मा-अता घोषणा में व्यक्त किया गया है। WHO की 2010 की रिपोर्ट ने वित्तीय सुधारों पर जोर दिया, जबकि भारत सहित कई देशों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
- बीमा योजनाएं अक्सर अस्पताल में भर्ती होने के खर्चों को कवर करती हैं, लेकिन कुछ शर्तों के अपवाद या सेवा प्रदाता के दुर्व्यवहार के कारण जेब से खर्च करना पड़ सकता है।
- चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जिसमें रोकथाम और शीघ्र निदान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
भारत में चुनौतियाँ
भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्धता भोरे समिति के समय से चली आ रही है, लेकिन इसे लगातार अपर्याप्त निधियों का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण निजी क्षेत्र पर निर्भरता बढ़ गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का उद्देश्य इन चुनौतियों का समाधान करना है। इन प्रयासों के बावजूद, असमानता और अपर्याप्त पहुंच जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।
निष्कर्ष
कोविड महामारी ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की ओर बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया। भारत के लिए, इसके लिए व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक निवेश बढ़ाना और स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करना आवश्यक है।